Environment Pollution – पर्यावरण प्रदूषण

Environment Pollution, पर्यावरण प्रदूषण कोलिन वाकर के अनुसार प्रकृति के द्वारा प्रदत्त सामान्य वातावरण में भौतिक रासायनिक या जैविक कारणों से होने वाले परिवर्तन को प्रदूषण कहते हैं । अर्थात् हमारे चारो ओर आस पास के वातावरण एवं परिवेश से है जिसमें हम आप और अन्य जीवधारी निवास करते हैं ।

Environment Pollution – कारण

पर्यावरण प्रदूषण के कारणों में मुख्य रूप जनसंख्या वृद्धि, प्राकृतिक श्रोतों का अधिक दोहन , आर्थिक विकास , परिवहन सेवा का विस्तार , आधुनिक तकनीकों का प्रभाव आदि है।

जनसंख्या वृद्धि

जनसंख्या में वृद्धि पर्यावरण में प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है क्योंकि इसके प्रदूषक और प्रदूषण दोनों में वृद्धि होती है । इसके परिणाम स्वरूप जहां एक ओर प्राकृतिक स्रोतों का अधिक विदोहन होने से इसमें तेजी से ह्यास हो रहा है। वही दूसरी ओर झील और नदियों में उद्योगों से निकलने वाले जल घरो से निकलने वाले कचरा और कुड़ा करकट प्रवाहित कर देने से पर्यावरण की समस्या खड़ी हो गई है।

प्राकृतिक श्रोतों का अधिक दोहन

अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि के कारण प्राकृतिक स्रोतों का जैसे भूमि जल वन व्यू खनिज आदि संसाधनों का अनियंत्रित और विकृत उपयोग किया जा रहे हैं जिसके कारण पर्यावरण प्रदूषण की समस्या हो गई है ।

आर्थिक विकास

जनसंख्या वृद्धि का सामना करने हेतु अपने जाने वाले व्यापक आर्थिक विकास पर्यावरण प्रदूषण के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है अध्ययन के क्षेत्र में जनसंख्या के दबाव के कारण से उबर के लिए कृत्रिम साधन अपना ही चाहते हैं और उत्पन्न को उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग करें हमारे पर किया जा रहा है जो जल में मिलकर पर्यावरण प्रदूषण पर बढ़ावा दे रहे हैं ।

परिवहन सेवा का विस्तार

औद्योगिकरण के कारणजलथल और नव यानी कस्तीनियों ही मार्गों पर परिवहन की समय संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जिसमें परिवहन से निकलने वाली गैस और दुआ के द्वारा पर्यावरण प्रदूषण प्रभावित हो रहा है और प्रदूषण का यह कम और भी तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि प्रयोग परिवहन के साधन संसाधनों और संख्या दोनों में बढ़ोतरी हो रही है फालतू पर्यावरण संकट उत्पन्न हो गया है ।

आधुनिक तकनीकों का प्रभाव

आधुनिक युग में आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनीप्रक्रियाओं सेअनेक प्रकार के अभिशप्त गैस दुआ और भी साथ रसायन इसके अलावा वायुमंडल में प्रदूषण गैस के प्रसार से पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है और यह स्थिति प्रयास सभी नगरों और शहरों में देखी जाती है ।

Environment Pollution – प्रकार

वायु प्रदूषण

मानव निर्मितस्रोतों से उत्पन्नबाय तत्वों के वायुमंडल में पहुंचने पर वायु की दशा और दिशा और संतुलित हो जाती है इसे ही वायु प्रदूषण कहा जाता है वायु प्रदूषण में सर्वाधिक योगदान कोयला और पेट्रोलियम की होती है जीवाश्म ईंधन लकड़ी खनिज तेल कोयला पेट्रोलियम कल का खान तथा वाहनों की दुआ वायु प्रदूषण पैदा करते हैं ।

इसके कारण वायुमंडल में जहरीले गैस जैसे CO2, CO, SO2, NO2 मिल जाते हैं । जिसके कारण भूमंडलीय तापमान में वृद्धि हो जाती है जिसके फल स्वरुप सभी जीवधारियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है सांस और दिल की बीमारी बढ़ जाती है अम्लीय वर्षा ओजोन परत की में ओजोन परत में चरण जीव जंतुओं का समय मृत्यु वायु प्रदूषण के ही दुष्परिणाम है ।

जल प्रदूषण

कल कारखानों से निकलने वाले कूड़ा कचरा हानिकारक रसायन शहर की गंदगी रासायनिक खान कीटनाशक दावों का उपयोग मृत्यु जीव जंतुओं को मनुष्य के समूह को नदी में फेंकने से जल प्रदूषण उत्पन्न होता है मानवीय क्रियाकलापों के द्वारा इस तरह के स्थिति से स्थलीय जल ही नहीं बल्कि भूमिगत जल और समुद्री तटीय जल भी प्रदूषित होते हैं जिसके कारण हमें विभिन्न प्रकार की बीमारियां जैसे पीलिया टाइफाइड त्वचा रोग और पीछे से बीमारी उत्पन्न होती है इसी प्रकार रासायनिक उर्वरक के प्रयोग से मिट्टी और जल दोनों प्रदूषित होते हैं जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है जिसके फल स्वरुप जलीय जीव और जाली पौधे नष्ट होती जाते हैं ।

मृदा प्रदूषण

रासायनिक उर्वरकऔरकीटनाशक दावों के कारण शहरी गंदगी तथा कूड़ा करकट को खुले में फेंकने के कारण कल कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों को भूमि पर जमा करने के कारण मृदा प्रदूषण होता है मृदा प्रदूषण के प्रभाव से मिट्टी की आवर्त शक्ति नष्ट हो जाती है जिसमेंकृषि उत्पादन कम होता है तथा उत्पादित फसलों में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है ।

रेडियो एक्टीविटी प्रदूषण

रेडियोएक्टिविटी पदार्थ के प्रयोग से रेडियोएक्टिविटी किरण निकलते हैं जो अत्यंत घातक होती हैं परमाणु बम आदि विस्फोटक के कारण है रेडियोएक्टिविटी पदार्थ वायुमंडल में फैल जाते हैं जिसके कारण संपूर्ण वातावरण प्रदूषित हो जाता है इसके अलावे परमाणु भारतीयों के दिशाओं से रेडियोएक्टिविटी पदार्थ वायुमंडल में पहुंच जाती है जो संगीत होकर बूंद के रूप में धरातल पर गिरते हैं जिसके कारण पेड़ पौधे और जीव जंतुओं को अनेक घातक बीमारियां होती हैं ।

ध्वनि प्रदूषण

जब कभी ध्वनि आवश्यकता से अधिक तेज हो जाती है तो उसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है यह प्रदूषण जल तथा वायु प्रदूषण से बिल्कुल भिन्न होती है क्योंकि इससे जो प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है वह स्थाई हनी देता है 80 db से काम की ध्वनिहानिकारकप्रभाव नहीं छोड़ती है लेकिन इससे अधिक डेसीबल की ध्वनि पर्यावरण को प्रदूषित कर दी है जिसके कारण बहरापन पागलपन चिड़चिड़ापन सर दर्द इत्यादि बीमारियां पैदा करती हैं ।

Environment Pollution – नियंत्रित करने के उपाय

भूमि, जल, वन, वायु यानि प्राकृतिक स्रोतों के अनियंत्रित दोहन पर रोक लगाया जाना चाहिए। ताकि पर्यावरण प्रदूषण को कम किया जा सके ।

देश में वनों की कटाई पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए सरकार द्वारा वनों को काटने के लिए ठेके पर कार्य दिया जाना चाहिए और वनों को काटने के लिए नवीन तकनीक का प्रयोग किया जाना चाहिए ।

तकनीकी विकास के साथ-साथ उद्योगों की संख्या में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है अतः सरकार द्वारा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को बंद कर दिया जाना चाहिए और उसे पर नियंत्रण रखना चाहिए ।

वातावरण को प्रदूषित करने वाले प्रदूषण पर तभी नियंत्रण रखा जा सकता है जब सरकार जनसंख्या नीति के माध्यम से जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करें और इसके अलावा बड़े-बड़े शहरों के आसपास करने की बस्तियों के निर्माण पर रोक लगाई जाना चाहिए इसके अलावा परिवहन के द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण पर नियंत्रण रखना चाहिए ।

Environment Pollution

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