Ozone, ओजोन का अणुसूत्र O3 होता है जिसे रासायनिक भाषा में ट्राई ऑक्सीजन कहते हैं यानी ऑक्सीजन के तीन परमाणु से मिलकर ऑक्सीजन ओजोन गैस का निर्माण होता है । ओजोन एक रंगहीन गैस है और जल में घुलनशील है समताप मंडल में ऑक्सीजन से ओजोन रासायनिक क्रिया के द्वारा इसका निर्माण होता है और इस प्रकृति क्रिया के कारण बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन ओजोन गैस में परिवर्तित होने लगता है जिसके कारण वायुमंडल में एक मोटी परत का निर्माण हो जाता है इसे ही ओजोन परत कहा जाता है ।
Ozone Layer – ओजोन परत
ओजोन परत वायुमंडल के समताप मंडल के ऊपरी भाग में 15 km से 40 km के मध्य में पाई जाती है यह परत पृथ्वी को चारों तरफ से घेर कर रकती है इस ओजोन परत के कारण ही पृथ्वी पर पराबैंगनी करनी नहीं पहुंच पाती इसके पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीव जंतु और वनस्पतियों को नुकसान नहीं होता है अतः यह सुरक्षा कवच की तरह कार्य करते हैं ।
वैज्ञानिकों के अनुसार ओजोन परत में ओजोन गैस कम होते जा रहे हैं जो पर्यावरण के लिए अत्यंत गंभीर संकट उत्पन्न कर सकती है । 1970 की आसपास में वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में पाया था कि ओजोन गैस धीरे-धीरे क्षय होते जा रही है जिसके कारण विश्व के कई देशों में पर्यावरण संकट हो रही है ।
Ozone Depletion – ओजोन परत के अपक्षय के कारण
पृथ्वी पर उपयोग किए जाने वाले पदार्थ जैसे फ्रिज एयर कंडीशन आदि से निकलने वाली सीएफसी गैस के कारण क्लोरीन गैस निकाल कर या वायुमंडल में ओजोन गैस के साथ प्रतिक्रिया करती है जिसके कारण ओजोन परत का अच्छा होता है इसे ही ओजोन क्षरण भी कहा जाता है ओजोन क्षरण के अन्य कारण है –
> वायुमंडल में प्राकृतिक रूप से मौजूद नाइट्रोजन ऑक्साइड के कारण ओजोन परत का अच्छा होता है
> ज्वालामुखी विस्फोट के कारण निकलने वाले विभिन्न प्रकार की गैस से और क्लोरीन गैस के कारण ओजोन क्षरण होता है
> बम विस्फोट के कारण निकलने वाले विभिन्न प्रकार के गैसों के कारण
> परमाणु भट्ठियों से उत्सर्जित होने वाले विकिरण के कारण
> प्लास्टिक उपयोगी और फार्मेसी उद्योगों से निकलने वाली गैसों के कारण
> परफ्यूम और फॉर्म उद्योग से निकलने वाले गैसों के कारण
> कल कारखानों से निकलने वाले विभिन्न प्रकार के गैसों के कारण
> परिवहन और मोटर गाड़ियों से होने वाली प्रदूषण के कारण ओजोन परत का क्षरण होता है ।
Ozone – ओजोन क्षरण के दुष्प्रभाव
ओजोन परत में क्षरण होने से कई प्रकार की समस्याएं और दुष्प्रभाव देखे जा रहे हैं –
ओजोन क्षरण के पराबैंगनी किरणों सीधे पृथ्वी पर आती है जिसके कारण मानव प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ जाती है और विभिन्न प्रकार के त्वचा के अंतर्गत चिकन पॉक्स आंखों की बीमारी हो रही है ।
ओजोन क्षरण का दूसरा सबसे बड़ा प्रभाव पराबैंगनी किरणों के कारण पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ रहा है फलस्वरूप बड़े-बड़े हम खंड पिघल-कर समुद्री जल स्तर में बढ़ोतरी कर रहे हैं । जिससे समुद्र तटीय इलाके डूबने की आशंका का बनी गई है ।
पराबैंगनी किरणें जेनेटिक संरचना को परिवर्तित करने में सक्ष्म है । इसी के प्रभाव के कारण फसलों की गुणवत्ता में कमी आ रही है जॉन चरण के कारण ही मौसम परिवर्तन की स्थिति देखी जा रही है ।
ओजोन क्षरण का दुष्प्रभाव यह भी है कि इसके कारण पारिस्थितिकी तंत्र टूट रहे हैं और धीरे-धीरे स्थिति की संतुलन की स्थिति खड़ी हो गई है जिसके फल स्वरुप पर विभिन्न प्रकार के जीव जंतु और पौधों की प्रजातियां विलुप्त होते जा रही हैं ।
ओजोन परत की छह के कारण जीव धारी की प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो रही है ।
Ozone – ओजोन क्षरण रोकने के उपाय
ओजोन क्षरण को रोकने के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं । इसके तहत एक प्रमुख संस्था इंडियन इंस्टीट्यूट आफ केमिकल टेक्नोलॉजी हैदराबाद में ओजोन चरित्र पदार्थ सीएफसी के बदले CFC हाइड्रो फ्लोरो कार्बन का विकास किया है इसका उपयोग एयर कंडीशन और फ्रिज में किया जा रहा है कस के विकल्प के रूप में हाइड्रोकार्बन और अमोनिया का उपयोग किया जा रहा है इससे ओजोन परत का चरण नहीं होता है ।
भारत सरकार ने आती प्रदूषित शहरों में पेट्रोलियम उत्पादो के स्थान पर CNG गैसों को अनिवार्य कर रही है ताकि को का उत्सर्जन कौन होगा और ओजोन परत को कम से कम नुकसान होने की संभावना है ।
ओजोन परत के चरण को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है और इसी के तहत सितंबर 1887 में औद्योगिक देशों ने मंत्रियां समझौता किए थे और 2000 ई तक CFC गैसों को नियंत्रित करने का संकल्प लिया था ।
1990 ईस्वी में लंदन में एक बैठक हुई थी जिसमें विकासशील देशों ने ओजोन चरण रोकने के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत विकसित देशों के द्वारा सीएफसी के विकल्प के रूप में कोई अन्य गैस से बनाने के लिए 24 करोड डॉलर का एक ठोस बनाने का निर्णय लिया है इसी प्रकार यूरोपीय समुदाय के देशों ने एक बैठक में CFC के उत्पादन में 25% काम करने का निर्णय लिया है