Maratha Empire – मराठा साम्राज्य

Maratha Empire, मराठा साम्राज्य के पहले महान शासक छत्रपति शिवाजी थे जो 1627 – 1680 ई० के उत्तरार्ध तक मराठा साम्राज्य की स्थिति को मजबूत कर दी । मराठा शासकों में शिवाजी (1627-80), विश्वनाथ (1713-20), पेशवा बाजी राव I (1720-40) , पेशवा बालाजी बाजीराव (1740-61) , पेशवा माधव राव (1761-72)

Maratha Empire – मराठा साम्राज्य

Maratha Empire - मराठा साम्राज्य

Maratha Empire – शिवाजी (1627-80)

जिस समय उत्तर भारत में मुगल सम्राज्य का शासक औरंगजेब शासन कर रहा था, उस समय महाराष्ट्र में मराठा शक्ति का उदय शिवाजी के नेतृत्व में हो रहा था।

शिवाजी का जन्म 20 अप्रैल 1627 ई० को पूना के निकट शिवनेर के किला में हुआ था। उनके पिता का नाम शाह जी भोसले और माता का का नाम उद्देश्य जीजा बाई था। प्रारंभ से ही शिवाजी एक स्वतंत्र राज्य की स्थापन करना था, और वे चाहते थे, कि दक्षिण में एक स्वतंत्र राज्य की 1 स्थापना की बाय ।

शिवाजी के गुरू एवं संरक्षक दादा कोड देव थे, जबकि उनके आधात्मिक गुरू स्वामी समर्थ रामदास जी थे। शिवाजी गुरीला युद्ध में अत्यंत प्रवीण थे। उन्होंने पश्चिमी दक्कन के पठारी इलाके में किला बंद दुर्ग की स्थापना की थी।

1674 ई० में शिवजी ने रायगढ़ में अपना राज्याभिषेक करवाया और काशी के प्रसिद्ध विद्धान गंगा भट के द्वारा शिवाजी का राज्याभिषेक करवाया गया था, और पति छत्रपति की उपाधि धारण की थी, और रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाई।

शिवाजी अब अपना राज्य विस्तार करते है। इस विस्तार के दौरान दककत में सर्वप्रथम तोरणा का किला जीत किया । इसके अलावे उन्होंने बीजापुर के आस पास कई और किले को जीतना प्रारंभ किया। इस विस्तार वादी नीति पर रोक लगाने के लिए बीजापुर के शासक ने 1659 ई० में अपना सुबेदार अबुल फजलखफजल खां को शिवाजी को पकड़ने के लिए भेजा था ।

शिवाजी ने 165920 में अफजल खां की हत्या लम् बघनखे से कर दी थी। इसके बाद बीबापुर के कई किलों को जीत लिए क्योंकि शिवाजी और उनके सैनिक गुरीवा युद्ध में अत्यंत श्रेष्ठ थे।

शिवाजी ने मुगल सम्राज्य के कई किले पर आक्रमण किया । इससे परेशान हो कर शिवाजी को पकड़ने के बिए सुवेदार सादिस्ता खां को भेजा गया । साहिस्ता खां के साथ भयंकर शुद्ध हुआ और सादिस्ता खां आक्रमण से घबरा कर भाग गया। इसके बाद शिवाजी मुगलों के किलों को जीत लिया।

1665 ई० में औरंगजेब ने अपना सेनापति राजा जयसिंह को शिवाजी को पकड़ने के लिए भेजा था। अंततः शिवाजी पुरंदर के किले में राजा जयसिंह के द्वारा घेर लिये जाते है। अंतत शिवाजी ने आत्म समर्पण कर दिया। 22 जून 1665 को शिवाजी और जयसिंह के बीच पुरंदर की संधि होती हैं।

इस संधि के अनुसार

शिवाजी ने 23 किले और 4 लाख हूण वार्षिक आय की भूमि मुगलों को दे दी।

शिवाजी के पास केवल 12 किले बच गये थे।

शिवाजी ने बीजापुर के विरुद्र मुगलों को सैनिक सहायता देने का वादा किया।

शिवाजी ने मुगल आधिपत्य स्वीकार कर लिया।

1668 ई० शिवाजी औरंगजेब से मिलते आगरा गये, जहाँ उन्हें नजरबंद कर दिया गया, लेकिन वे वहाँ से भाग ने सकल हुए थे । इसके बाद शिवाजी सूरत की लूट करते ‘है, और फिर कुछ समय तक वे शासन कार्य संचाबित करते है. और फिर 177750 में कर्नाटक के खिलाफ अभियान चलाते है, और अंत में 14 अप्रैल 1680ई0 को शिवाजी की मृत्यु हो जाती हैं।

Maratha Empire – मराठा प्रशासन

शिवाजी को शासन कार्यों में सहयोग देने के लिए षष्ट प्रधान होते है, यानि शिवाजी के मंत्रीमंडल को भष्ट प्रधान कहा आता था । इसमें

क्षेत्रपति – स्वंय शिवाजी

पेशवा – यह मराठा प्रशासन में प्रधान मंत्री होता था

अमात्य – यह राजस्व से जुड़ा अधिकारी था

वाकिया नवीश – यह राजा के कार्यों में तथा राजदरबार ये जुड़ा अधिकारी था

सचिव – यह पत्र व्यवहार से जुड़ा हुआ सबसे बड़ा अधिकारी था

सुमंत – यह विदेश मंत्री था

सरेनैबत – यह सेता का प्रमुख अधिकारी था

पंडित राव – यह धार्मिक विभाग का प्रधान अधिकारी था

न्यायाधिश – यह न्याय से जुड़ा हुआ, सबसे बड़ा अधिकाशी था

शिवाजी के प्रशासन में सैन्य व्यवस्था भी मजबूत थी। सेना का प्रमुख अंग घुड़सवार सेना और पैदल सेना थी। घुड़‌सवार सेना मुख्यतः दो प्रकार की थी –

1) पागा था वर्गीक→

यह नियमित सेना थी । इसमें शादी पुड़‌सवार होते थे । इसमें जोड़ा और अशत्र-शस्त्र राज्य की और से दिये बाते थे

2) शिलहदार

यह अस्थाई घुड़सवार थे । इन्हें राज्य की ओर से घोड़ा नहीं दिया जाता था

इनके अलावे पैदल सेना होती थी। पैदल सेना में-

नायक – उसके अतंर्गत 9 सैनिक होते थे।

हवलदार – इसके अंतर्गत 10 नायक होते थे।

जुमलादार – इसके अंतर्गत 2 या 3 हवलदार होते थे।

हजारी – नइसके अंतर्गत 10 जुमलादार होते थे।

सरे नौबत – यह संपूर्ण से पैदल सेना का प्रधान होता था इस काल में भी सैनिकों को नकद वेतन दिये जाते थे ।

Maratha Empire – राजस्व व्यवस्था

शिवाजी ने कृषि व्यवस्था पर और राजस्व व्यवस्था पर ध्यान दिया था। शिवाजी के काल में आय का मुख्य साधन चौथ और सरदेशमुखी था । इसमें –

चौथ – यह उपज का 1/4 लिया जाता था

सरदेश मुखी – यह पुराने जमींदारों से लिया जाने वाला 49x था. जो उपज का 1/10 लिया जाता था।

मराठा साम्राज्य और उसके स्थान

गायकवाड़ – बड़ौदा

पेशवा – पुणे

भोसले – नागपुर

होल्कर – इंदौर

सिंधिया – ग्वालियर

Maratha Empire

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