Constitution Making of India, भारतीय संविधान एक दस्तावेज है, जो आदर्शो को सूत्रबंध करता है। जिसके आधार पर नागरिक, देश को अपने इच्छानुसार निर्मित करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो बड़े समाज में अलग-अलग समुदाय के लोग रहते है, जहाँ नियमों को आम जनता के द्वारा लागू किया जाता है।
समान्यतः देशों में यह सहमति लिखित रूप में पाई जाती है। ऐसे नियमों से सने दस्तावेज को संविधान कहा जाता है। जिन देशों में लोकतांत्रिक शासन नियमों प्रणाली अपनाई जाती है। वहां निर्णय प्रक्रिया में का अत्याधिक महत्व होता है, और ये नियम संविधान से प्राप्त किये जाते है। इसलिए संविधान को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती हैं।
Constitution Making of India – संविधान का निर्माण
संविधान निर्माण का मुख्य बीजारोपन Indian National congress की स्थापना के बाद हुई। भारतीयों के मन में यह लगने लगा था कि हमारा एक संविधान होना चाहिए, अपनी राजनीतिक व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि हम अपने राजनीतिक भविष्य निर्णय कर सकें ।
1922 ई० में महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत का संविधान का निर्माण भारतीयों द्वारा किया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने लोगों को प्रेरित किया. फिर 1924 ई० में मोतीलाल नेहरू ने ब्रिटिश सरकार से मांग की, भारतीय संविधान के निर्माण के लिए संविधान के सरकार भारत सभा का शासन किया जाय। 1935 ई० अधिनियम के प्रवर्तन के बाद भारतीय हुआ। अधिकांशत: राज्यों में काँग्रेस की शासन व्यवस्था आई
सभी राज्य विधान सभाओं ने प्रस्ताव पारित करके संविधान सभा के गठन की मांग की । फिर 1938 ई० में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के वार्षिक अधिवेषन में भी संविधान सभा का गठन की मांग की गई।
1942 ई० में क्रिप्स मिशन के प्रस्ताव संविधान सभा के प्रस्ताव को स्वीकार किया गया। फिर 1946 ई० में कैबिनेट मिशन के प्लान में भारतीय संविधान के गठन की प्रक्रिया शुरू की गई। कैबिनेट मिशन प्लान के तहत संविधान सभा का स्वरूप तैयार किया गया और संविधान सभा में पंडित ज्वाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. राजेन्द्र मौलाना अबुल कलाम आबाद जैसे लोग शामिल किये गये।
इसके अलावे कॉग्रेस के 6 पूर्व अध्यक्ष 14 प्रांतिय कॉग्रेस के अध्यक्ष तथा काँग्रेस कार्य समिति के 14 सदस्यों को भी शामिल किया गया । एम. एन. राय के द्वारा संविधान सभा का प्रतिपादन किया गया और बी. एन. शव को संविधान सभा का संवैधानिक सलाहकार नियुक्ति किया गया ।
संविधान सभा की पहली बैठक केन्द्रीय 9 दिसम्बर 1946ई० को संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित की गई । जहाँ डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का प्रथम अस्थाई अध्यक्ष संविधान सभा का संविधान बनाया गया, फिर 11 दिसम्बर 1946 ई० को सभा की बैठक में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान प्रथम स्थाई अध्यक्ष नियुक्त किया गया। सभा द्वारा संविधान निर्माण के लिए कुछ समितियां बनाई गई थी ।
Constitution Making of India – प्रमुख समितियां
प्रारूप समिति – डॉ भीम राव अम्बेडकर
झंडा समिति – आचार्य जे बी कृपलानी
संघ शक्ति समिति – पंडित ज्वाहरलाल नेहरु
मूल अधिकार समिति – सरदार वल्लभ भाई पटेल
संचालन समिति – डॉ राजेंद्र प्रसाद
13 दिसम्बर 1946 ई० को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जो 22 जनवरी 1947 ई० को संविधान सभा द्वारा पारित किया गया ।
डॉ. भीम राव अम्बेडकर , जिन्होंने संविधान का प्रारूप तैयार किया था, उसे संविधान सभा में प्रस्तुत की गई , जहाँ 26 नवंबर 1949 ई० को उस पारित कर दिया गया ।
इस प्रकार से संविधान निर्माण में कुल 2 वर्ष 11 माह 18 दिन लगे और संविधान सभा की कुल 11 अधिवेशन और 165 बैठकें हुई थी। उस समय संविधान निर्माण पर 6 करोड़ रू खर्च हुए थे।
इस प्रकार प्रस्तावित मूल संविधान में कुल 395 अनुच्छेद 8 अनुसूचियां और २२ भाग थे, जो 26 जनवरी 1950 को पूर्ण रूप से लागू हुआ था। आगे चलकर भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद 12 अनुसून्थियां और 22 भाग हो गए ।