श्री निवास पानुरी – Shri Niwas Panuri
खोरठा आधुनिक साहित्य के ‘अछय बोर/ बाल्मीकि
श्री निवास पानुरी शीर्षक पाठ जीवनी साहित्य विधा मानल जा हे ।
श्री निवास पानुरी जी के जीवनीकार – प्रदीप कुमार ‘दीपक‘
पानुरी जी का जन्म – 25 दिसंबर 1920
पानुरी जी की मृत्यु – 7 अक्टूबर 1986
पानुरी जी ‘कवि जी‘ नाम से जाने जाते थे
पानुरी जी के पिता का नाम -शालिग्राम पानुरी और माता का नाम – दुखनी देवी
पानुरी जी की पत्नी का नाम – मूर्ति देवी
पानुरी जी के बेटा का नाम – अर्जुन पानुरी (जे एखन खोरठाक सेवाञ लागल हथ) ,भगवानदास, राज किशोर पानुरी, ध्रुव पानुरी, अरूण लाल पानुरी ।
पानुरी जी के बेटी का नाम – निर्मला देवी, रेखा देवी, आशा देवी
पानुरी जी के बड़े भाई का नाम राम खेलावन पानुरी हलई ।
1930 ईस्वी में लोवर प्राइमरी पास किए | मैट्रिक तक की शिक्षा जिला स्कूल धनबाद से पूरी किये ।
1946 में पुराना बाजार धनबाद में पान गुमटी चलाते थे ।
1950 ईस्वी से खोरठा गंभीर लेखन शुरू किए हैं ।
1954 में प्रथम कविता संग्रह ‘बाल किरण’ प्रकाशित हुई । 1957 ईस्वी में पानुरी जी ‘मातृभाषा’ नाम से खोरठा पत्रिका निकालें ।
1957 में ही आकाशवाणी रांची से पानुरी जी की कविता प्रसारित हुई । उन्होंने 40 साल के साहित्यिक जीवन में 40 किताबें लिखी ।
प्रथम ‘बाल किरण’
अनुवाद रचना – मेघदूत, जुगेकगीता
नाटक –चाभी काठी, उद्भासल कर्ण
कविता संग्रह – आंखेक गीत
Shri Niwas Panuri जी की प्रकाशित रचनाएँ –
1) उद्भासल करन (नाटक)
2) आँखिक गीत (कविता-संग्रह)
3) रामकथामृत (खंडकाव्य, 1970)
4) मधुक देशे (प्रणय गीत)
5) मालाक फूल (कविता संग्रह)
6) दिव्य ज्योति (काव्य)
7) चाबी काठी (नाटक)
8) झींगा फूल
9) किसान (कविता)
10) कुसमी (कहानी)
Shri Niwas Panuri जी की अप्रकाशित रचनाएँ –
श्री निवास पानुरी जी की पारिजात (काव्य) ,अपराजिता (काव्य), समाधान (खण्ड काव्य) , छोटो जी (व्यंग्य), अजनास (नाटक), अग्नि परीखा (उपन्यास), मोतिक चूर , हमर गांव, मोहभंग , भ्रमर गीत , रक्ते रांगल पाखा (कहानी-संग्रह), मेरे गीत आदि अप्रकाशित रचनाएं हैं ।
Shri Niwas Panuri के बारे में लोगों के वक्तव्य –
राहुल संस्कृत्यायन ने कहा है कि ने कहा है “मातृभाषाओं का अधिकार कोई छीन नहीं सकता, न हीं लोक कविता को आगे बढ़ने से कोई रोक सकता है ।”
राधाकृष्ण ने कहा “छोटानागपुर भाषाओं में सर्वप्रथम खोरठा भाषा में श्रीनिवास पानुरी ने मेघदूत का अनुवाद करने का श्रेय पाया है ।”
डॉ. वीर भारत तलवार ने कहा है कि – “कहना न होगा Shri Niwas Panuri ने मेघदूत को उसकी उचित जमीन पर उतार दिया है ।”
पं. हंस कुमार तिवारी ने लिखा हैं “किसी भी कलावस्तु को एक आकार से दूसरे आकार में ढालना एक भाषा से दूसरी भाषा में उतारना कठिन काम है। फिर मेघदूत का बड़ा ही कठिन प्रस्तु खोरठा भाषा के कवि Shri Niwas Panuri जी ने उसके अनुवाद की स्तुत्य चेष्टा की है ।”
रामदयाल पांडे जी ने कहा है – “खोरठा नामक जनपदीय भाषा में काव्य निर्माण का काम आप सफलता से कर रहे हैं मैं इसे वैसा ही प्रयास मानता हूं जैसा वाल्मीकि से संस्कृत के लिए अथवा सिद्ध कवियों ने हिंदी के लिए किया ।”
विकल शास्त्री जी श्री निवास पानूरी भी पर संसमरन रचना लिखल हय । इनखर मानना हय , कि श्री निवास पानूरी जीक कविता आर हिंदी सादित के बाबा नागार्जुन के कविता दुयो एके भाव विचार के हइ।
ऐकर छाड़ा श्री निवास पावूरी जीक उपरे विश्वनाथ रतौंधी राज आर शिवनाथ प्रमाणिक श्री संसमरन रचना लिखल हय। ई ससमरने पारी बीक रिदर बड़सल खोरण साहितेक अगाध परेम भाव कम्यूनीस्ट चार समाजवादी विचार धारा के धुरंधर साहितकार रूपे स्थापीत करल गेवल छइ ।
* Shri Niwas Panuri *
He had 8 children . 5 sons and three daughters