Soil of India , भारत एक कृषि प्रधान देश है, यहाँ की मिट्टी भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । देश की लगभग 65% से 70% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है ।
Soil of India – मिट्टी के प्रकार
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के द्वारा भारत के मिट्टी को आठ वर्गों में विभाजित किया जाता है –
1) जलोढ़ मिट्टी
2) रेगुर या काली मिट्टी
3) लाल मिट्टी
4) लेटराइट की मिट्टी
5) रेगिस्तानी मिट्टी
6) पर्वतीय मिट्टी
7) लवणीय और क्षारीय मिट्टी
8) दलदली या पीट मिट्टी
Soil of India – जलोढ़ मिट्टी
समुद्र और नदी द्वारा मिट्टी के जमाव के कारण निर्मित हुई मिट्टी को जलोढ़ मिट्टी कहते है।
यह मिट्टी उत्तर भारत में मुख्य रूप से पश्चिम में पंजाब से लेकर गंगा नदी के डेल्टाई भाग तक फैला हुआ है। यह मिट्टी लगभग 43% भाग पर फैला हुआ है। यह सबसे अधिक उपजाऊ मिट्टी है, और इसमें मुख्य रूप से गेहूं, चावल t कुट, गन्ना आदि की कृषि की जाती है। जलोद मिट्टी के दो प्रकार पाये बाते है
खादर मिट्टी – यह नई जलोढ़ मिट्टी होती है ।
बांगर मिट्टी – यह पुरानी जलोढ़ मिट्टी होती है ।
जलोढ़ मिट्टी में रबी के साथ साथ खरीफ की भी फसल उगाई जाती है। जैसे गन्ना, कपास, तिलहन, चावल, गेहूँ आदि
Soil of India – रेगुर या काली मिट्टी
इस प्रकार की मिटटी दककन भारत के लावा निर्मित क्षेत्रों में पाये बाते हैं। यह मिट्टी मुख्य रूप से गुजरात महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिमी आंध्र प्रदेश में पाई जाती है।
यह मिल्टी कपास की खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होती है, और इसमें मुख्य रूप से कपास के अलावा मुंगफली, दलहन, तिलहन, ज्वार, बाजरा , तम्बाकू आदि की कृषि की जाती है।
यह ज्वालामुखी की गतिविधियों के कारण बनी है। भारत में करीब 15.1%, भाग पर इस प्रकार की मिट्टी फैली हुई है। इस मिट्टी में जल धारण करने की क्षमता सबसे अधिक होती है, तथा इसमें लोहा, पोटाश, तथा चूने का अंश पाया जाता है। जिसमें P और N2 बहुत कम पाये जाते है।
Soil of India – लाल मिट्टी
लाल मिट्टी रूपांतरित चट्टानों के अपक्षय के कारण विकसित होती है। यह कृषि के दृष्टिकोण से उत्तम नाहीं है । इस प्रकार की मिट्टी में चुना और एल्युमिनिया की अधिकता पाई जाती है।
यह मिट्टी कुल मिट्टी का लगभग 18.5%. भाग पर फैली हुई है। तामिलनाडु में 2/3 भाग में लाल मिट्टी दही पाई जाती हैं। इसके अलावे कर्नाटक, छोटानागपुर का पठारी ईलाका, मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग में इस प्रकार की मिट्टी पाई जाती है’। इस मिट्टी में मोटे अनाज जैसे गेहूं, चावल, बाजरा, दलहन आदि की कृषि की जाती हैं।
Soil of India – लेटराइट मिट्टी
यह मिट्टी पठारों के ऊच तापमान वाले तथा भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाती है। यह मुख्य रूप से पश्चिमी घाट, तामिलनाडु, उड़ीसा, राजमहल क्षेत्र, छोटानागपुर का पठारी ईलाका तथा मेघालय में पाया भाता हैं।
इस प्रकार की मिस्टी में नाइट्रोजन और पोटाश नहीं पाया जाता है। इस तरह की मिट्टी कृषि के लिए अनुपयुक्त होती है क्योंकि इसमें उच्च अम्लता के साथ नमी धारण करने का अभाव होता है।
इस प्रकार की मिट्टी में चावल, चाय, कावा, काजू, सिनकोना आदि की कृषि की बाती हैं। यह कुल मिट्टी का करीब 3.7% भाग पर फैला हुआ है।
Soil of India – रेगिस्तानी मिट्टी
यह मिट्टी मुख्य रूप से भारत के मरुस्थलिय प्रदेशों में पाई जाती है । यह मुख्य रूप से दक्षिणी पंजाब, पश्चिमी गुजरात, राजस्थान तथा हरियाणा के कुछ भागों में पाये जाते है, लेकिन यह कृषि योग्य मिस्टी नहीं हैं।
• इस प्रकार की मिट्टी राजस्थान, हरियाणा और दक्षिण पंजाब में पाई जाती है और यहरेतीली होती है।बारिश के पानी से पर्याप्त धुलाई के अभाव में यह मिट्टी खारी बन गई है, और इसीलिए ये खेती के लिए अयोग्य है। परंतु इसमें मूंगफली, बाजरा आदि की कृषि की जाती है ।
Soil of India – पर्वतीय मिट्टी
इसका विस्तार देश के पर्वतिय क्षेत्रों में लगभग 2.85 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इस मिट्टी में पोटाश, फासफोरस और चुने की कमी पाई बाती है। यह मिट्टी बगानी खेती के लिए सर्वाधिक उपर्युक्त है। भारत में इस प्रकार की मिट्टी में चाय, कहवा, मसाला और फलों की कृषि की जाती हैं। यह मिली मुख्य रूप से हिमालय के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र प्राय: सीपीय क्षेत्र के पश्चिम और पूर्वी घाट में पाई आती है।
Soil of India – लवणीय और क्षारीय मिट्टी
इस प्रकार की मुख्यतः राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के मिट्टी कुछ भागों में पाई जाती हैं। इस प्रकार को रेह कल्लर या उसर मिट्टी कहा जाता है।
इस मिट्टी में नमक की मात्रा पाई जाती है। इसलिए यह उपजाऊ मिट्टी नहीं होती है। समुद्र तटीय क्षेत्रों में इस प्रकार की मिट्टी में नारियल की खेती की जाती हैं।
Soil of India – दलदली या पीट मिट्टी
दलदली क्षेत्रों में जहाँ जैविक पदार्थ होता है। वही इस प्रकार की मिटटी का निर्माण होता है। यह मिट्टी काली, भारी और अम्लीय होती हैं। इसमें पोटाश और फासफेट की कमी होती है।
इस प्रकार की मिट्टी पश्चिमी गुजरात, केरल, उड़ीसा और सुंदर वन डेल्टा क्षेत्र में पाई जाती है। यह मिट्टी लगभग 1 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई हैं।
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