Cyclone – चक्रवात

Cyclone, वे परिवर्तनशील हवाएं, जिनके केंद्र में निम्न वायु दाब और केंद्र से बाहर उच्च वायु दाब होते है, चक्रवात कहलाते है । चक्रवात अंडाकार होता है और उत्तरी गोलार्ध में इसकी दवारे Anti-clack wise में और दक्षिणी गोलार्ध में घड़ी की सूई की दिशा ‘clock wise’ चलती है।

Cyclone – चक्रवात के प्रकार

चक्रवात दो प्रकार के होते है

1) ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात

2) शीतोष्ठा कटिबंधिय चक्रवात

Cyclone - चक्रवात

Cyclone – ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात

ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात दोनों गोलार्धो में 8° से 24° (10° से 30°) अक्षांश के बीच उत्पन्न होते है। यानि मुख्य रूप से ऊष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में से चक्रवाती दवारे चलती है। इस चक्रवात का व्यास 500km से 800km होती है; और से अधिकाशत: ग्रीष्म प्रऋतु में उत्पल लेते हैं। इस चक्रवात के भाने से तापमान बढ़ने लगता है और वायुदाब घटने लगती है। कस तरह का चक्रवात मुख्य रूप से अगस्त माह से अक्टूबर माह के बीच आते हैं।

ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात में मौसम में भारी परिवर्तन हो जाता है, आकाश में बादल एका जाते है समुद्र में उन्च्ची. अच्ची लहरें मुझे लगती है, और कई दिनों तक लागातार वर्षा होती है।

इस चक्रवात के आने के पूर्व आकाश में श्खेत बादल पारा छा जाते हैं। वैसे मीटर का नीचे गिर आता है, और नालीयों से बद‌बू आने लगती है। ऊष्ण कटिबंधीय न्चक्रवात अत्यंत विनाशकारी होती है। इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है –

हिंद महासागर में चक्रवात या cyclone

प्रशांत महासागर के तटीय भागों में और मैं और वीर सागर में टायफून के नाम से जाना जाता है।

पश्चिमी द्वीप समूहों में, मैकिसकों की खाड़ी में और कैरेबियन सागर में हरिकेन के नाम से जाना जाता है।

अमेरिका और मेक्सिको में से यह टारनेडो के नाम से जाना जाता है।

ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात के कारण – कोरियोलिस बल और 27 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान

Cyclone – शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात

इसकी उत्पत्ती दोनों गोलार्थों में 300 से 650 अक्षांश के बीच होती है। यद मुख्यतः शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में आती है. लेकिन इसके उत्पत्ती का समय निश्चित नहीं होता है. और यह गर्मी के अपेक्षा ठंड के मौसम में अधिक आाती है।

इसमें भी लगातार कई दिनों तक वर्षा होती है और समान्यता 800km से 1500km तक इसका व्यास होता है। इस प्रकार के चक्रवात मुख्य रूप से भूमध्य सागार अटलांटिक महासागर, एशिया के उत्तर पूर्वी और पूर्वी तह तक उत्पन्न होती हैं।

ये चक्रवाती हवाऐं अटलांटिक महासागर में शीत ऋतु में उत्पन्न होकर भूमध्य सागर को पार करते हुए टर्की तक पहुँच जाती है। फिर टर्की से ईरान, ईराक पाकिस्तान, अफगानिस्तान होते हुए भारत में भी अपना प्रभाव दिखाती है।

प्रति चक्र‌वात

प्रति चक्रवात के केंद्र में उच्च वायु दाब होता है और बाहर की ओर निम्न वायु दाब का क्षेत्र होता है, जिसके कारण हवाएँ केंद्र से बाहर की ओर चलती है।

प्रति-चक्रवात ऊपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में अधिक आते है, लेकिन भूमध्य रेखिय प्रदेशों में इसका अभाव होता है। प्रति चक्रवात में मौसम साफ हो जाता है और हवाऐ मदं गति से चलने लगती है, और वर्षा की सम्भावना बहुत कम होती है। आकार में प्रतिचक्रवात चक्र‌वातों की अपेक्षा अधिक विस्तृत होती है और इसका आकार प्रायः गोलाकार होता है।

ऊष्ण और शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात में अंतर –

ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात छोटे क्षेत्र को ही आच्छादित करते हैं और केवल समुद्र के ऊपर ही जन्म ले सकते हैं जबकि शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात बड़े क्षेत्र को आच्छादित करते हैं और भूमि व समुद्र में जन्म ले सकते हैं।

उष्णकटिबंधीय चक्रवात में हवा का वेग तीव्र होने से यह काफी विध्वंसकारी होता है जबकि शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात में हवा के धीमे होने से ये कम विध्वंसकारी होते है।

उष्णकटिबंधीय चक्रवात की दिशा पूर्व से पश्चिम की ओर जबकि शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात पश्चिम से पूर्व की दिशा की ओर गति करते हैं।

Cyclone

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