Oraon Tribe / Kurukh, झारखंड की दूसरी तथा भारत की चौथी जनसंख्या वाली जनजाति हैं। यह जनजाति सबसे अधिक छोटा नागपुर के पहाड़ी इलाके में पाई जाती है। इसके अलावे संथाल परगना, उत्तरी छोटानागपुर और कोल्हान प्रमण्डल में निवास करती हैं।
Oraon Tribe / Kurukh – उरांव जनजाति
Oraon Tribe द्रविड प्रजाति से आते हैं, और यह स्वंय को कुटुम्ब कहते हैं।
इस जनजाति ने पहली बार जंगलों को साफ कर कृषि कार्य के लिए खेत बनाये थे। इसलिए इन्हें भुईदर कहा जाता है।
यह जनजाति सेंदरा भी करती है। यानी वैशाख माह में कई जाने वाले शिकार को विशु सेंदरा कहा जाता है।
उरांव जनजातियों में पितृ सत्तात्मक परिवार पाया जाता है । उरांव जनजाति में सगोत्रीय (Endogamous) विवाह वर्जित है। इनके यहा भी कई प्रकार के विवाह पाए जाते है। जिसमें आयोजित विवाह सर्वाधिक प्रचलित हैं। इनके यहां भी वर पक्ष वधु को वधु-मुल्य देता है।
उरांव जनजातियों में युवा गृह को धुमकुडिया कहा जाता हैं। ग्राम के प्रधान को महतो और पंचायत को पंचौरा कहा जाता है।
Oraon Tribe – देवता
उरांवों के प्रमुख देवता धर्मेश होते है, जिन्हें सूर्य का प्रतिक माना जाता है। इसके अलावे इनके यहां
पहाड़ों के देवता – मारंग बुरू
ग्राम देवता- ठाकुर देव
कुल देवता – पूर्व आत्म
सीमांत देवता – डीहवार
इनके यहां पुजा स्थल को सरना कदा आता हैं, और धार्मिक प्रधान को पाटन कहा आता है, और इनके पूर्वज बहां निवास करते है, उस स्थान को सासन कहा जाता है, और इनके समाजिक सांस्कृतिक संस्था को अखरा कहा जाता है।
Parha Panchayat Administration – Oraon Tribe – परहा पंचायत प्रशासन प्रणाली
इनका स्थानिय स्वशासन व्यवस्था अत्यंत मजबूत थी, इस व्यवस्था में कई गाँवों को मिलाकर जैसे – 5,7, 11, 21 और 22 गाँवों को मिलाकर पडहा गाँव का गठन किया जाता था।
पड़हा के प्रधान को पड़हा राजा कहा जाता था । इनका प्रमुख कार्य था, गाँव के सभी विवादों को सुलझाना। इसके अलावे वह जुर्माना भी लगाता है।
पडहा गाँव को अलग-अलग नामों से जाना जाता था, जैसे रांजा गाँव, प्रजा गाँव, दिवान गाँव, पतेर गाँव और कोतवार गाँव ।
पडहा राजा के उपर पडहा दीवान होता था,जो सभी पड़हा पंचायतों पर नियंत्रण रखता था। इसके अलावे
महतों – यह गाँव का मुख्य प्रधान होता था ।
माँझी – यह शासन प्रशासन में महतो की सहायता करता था
पाहन – यह धार्मिक प्रधान होता था और इसे जो भूमि दी जाती थी, वह पहनाई कहा जाता था।
बैंगा – यह पाहन का सहयोगी था और पुरोहित का कार्य करता था।