Santhal Tribe, झारखण्ड में सर्वाधिक जनसंख्या वाली जनजाति है और भारत में इसका स्थान तीसरा है। यह मुख्य रूप से संथाल परगना क्षेत्र में, हजारीबाग, चतरा, गिरिडीह आदि जिलों में पाई जाती है ।औ यह प्रोटो ऑस्ट्रेलियाड ग्रुप से आते हैं। इसकी भाषा संथाली है, और लिपि ओलचिकी है ।
Santhal Tribe – संथाल जनजाति
यह प्रोटो ऑस्ट्रेलियाड ग्रुप से आते हैं। इसकी भाषा संथाली है, और लिपि ओलचिकी है ।
Santhal Tribe – समाजिक स्थिति
यह जनजाति स्थाई रूप से गाँव में निवास करती है और अंतरजातीय विवाह करती है। इनके यहां बाल विवाह नहीं होता है। इनके समाज में विवाद को वापला कहा जाता है। जिसमें किरिंग वापला सबसे लोकप्रिय वापला है। हैं। उनके यहां वर पक्ष की ओर से कन्या पक्ष को वधू मूल्य दिया जाता हैं। जिसे पोण कहा जाता है। इनके यहां कई प्रकार के पर्व त्योहार मनाएं जाते है, जैसे वादा, सोहाई सरहुल और बंदधना पर्व प्रमुख हैं।
संथाल जनजातियों के प्रधान देवता सिंह बोंगा ग्राम देवत – आहेर ऐरा है। जाहेर थान में ये पूजा करते है । इसके अलावा अन्य देवता है, ओडाक बोंगा। इसके अन्नाचे अन्य देवता है संचाल जन जातियों में जादू-टोना की प्रक्रिया बड़े पैमाने पर होती है और इनके यदा शवों को दफनाने और अमाने दोनों की प्रथा है ।
Santhal Tribe – राजनैतिक संगठन
संथाल जनजातियों में माँझी परगना व्यवस्था पाई जाती हैं। प्रत्येक गाँव में एक पंचायत होता है। जिसका प्रधान माँझी होता है । 8 माँझी को प्रशासनिक और न्यायिक अधिकार प्राप्त होते है 1. माँझी की सहायता के लिए जोग माँझी होते है, जो वैवादिक समस्याओं को सुलझाते है और इनके उत्ताने इनके नहीं रहने पर यह कार्य प्रमाणिक करता हैं। उसके अलावे एक संदेश वाहक होता है, जो सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले आता है, जिसे गुडैत कहा जाता है।
गांव के धार्मिक प्रधान नायक होता है। यह भी माँझी परगना व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावे गाँव के जो वरिष्ट सदस्य होते है, उन्हें भग्दो प्रजा कहा जाता है।
Santhal Tribe- माँझी परगना व्यवस्था में
1) एक गाँव के प्रधान को माँझी कहा जाता है, और माँझी का उप-प्रधान पराविक होता है।
2) 5 से 8 गाँव के प्रधान को देश माँसी कहा जाता है।
3) 15 से 20 गाँव, की मिलाकर परगना बनता है। जिसका प्रधान परगणैत होता है।
4) 40 A 80 गाँवों के प्रधान को सरदार कहा जाता है।
परगीत गाँव के विवादों को सुलझाता है और उसे विटलादा करने का अधिकार प्राप्त होता है। विटलाहा संथाल जनजातियों में सबसे कठोर सजा होती है, जिसमें व्यक्ति को समान से बहिष्कृत कर दिया जाता है।
* Santhal Tribe *