Irrigation in india – भारत में सिंचाई

Irrigation in india, भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ मौनसून की अनिश्चित्ता प्राय: देखी जाती है 1 इस स्थिती को देखते हुए यहाँ सिंचाई के साधनों का विकास किया गया है।

Irrigation in india – सिंचाई

भारत में सतत ही जल और भूमिगत जल प्रयाप्त मात्रा में उपलब्ध है । यही कारण है, कि यहां सिंचाई साधनों का विकास हुआ है ।

भारत में आधुनिक सिंचाई का प्रारंभ 1831ई० में प्रारंभ हुआ था । अब उत्तर प्रदेश का पूर्वी यमुना नहर बन कर तैयार हुआ था। 1950 ई० में भारत में कुल संचित क्षेत्र लगभग 2.26 करोड़ हेक्टेयर थी। आगे चलकर सिंचाई क्षमता का विकास हुआ और यह बढ़‌कर 8 करो 47 लाख हेक्टेयर हो गई।

Irrigation in india - भारत में सिंचाई

इसी प्रकार भारत में स्वतंत्रता के पहले शुरू बोरो गरे क्षे के लगभग 10% भाग पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध थी, जो बढ़‌कर वर्तमान समय में लगभग 33% भाग पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो गई हैं।

वर्तमान समय में कुल सिंचाई क्षेत्र का 49% भाग वृहद या मध्यम सिंचाई परियोजना के अंतर्गत आता है अबकि 51% भाग लघु सिंचाई परियोजना के अंतर्गत आता है । भारत में सिंचाई परियोजनाओं को निम्न रूप में विभाजित किया गया है –

1) बृहद सिंचाई परियोजना

इस परियोजना के अंतर्गत वैसी सिंचाई परियोजना आती है, जिसके अतंर्गत 10,000 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि आती हैं। इसके अतंर्गत देश की सभी बड़ी और बहुउद्देशिय परियोजनाएँ आती हैं।

2) मध्यम सिंचाई परियोजना

इसके अतंर्गत 2000-10,000 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि आती है। इसके अतंर्गत नहर परियोजनाएं आती है।

3) लघु सिंचाई परियोजनाएँ

इसके अतंर्गत 2000 हेक्टेयर से कम कृषि योग्य भूमि आती है। इसके अतंर्गत नलकूप, कुँआ, पंपसेट, तालाब आदि आते हैं।

भारत में सिंचाई के प्रमुख साधन –

नहरे – 35% पंजाब

नलकूप और कुँआ – 26 %+ 30% = 56% गुजरात

तालाब – 9 % तामिलनाडु

1) नहर

      भारत में नहरें सिंचाई का प्रमुख साधन है। देश मैं नहरों से लगभग 85% भाग सिंचित होते हैं। भारत में नहर सिंचाई का विकास मुख्य रूप से उत्तर भारत के विशाल मैदानी भागों में हुआ है। मुख्य रूप से उत्तर-भारत के विशाल मैदानी भागों में सालों भर जल रहने के कारण नहरों का विकास हुआ है। हरित क्रांति के दौरान नहरों की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी । देश की सबसे लम्बी नहर इंदिरा गाँधी नहर परियोजना है।

      लहरों से सर्वाधिक सिंचित राज्य – 1) पजाब 2) हरियाणा 3) राजस्थान 4) पश्चिम बंगाल

      इसके अलावे आंध्र प्रदेश, अम्मू कश्मीर आदि राज्यों में भी नहरों से सिंचाई कार्य किये जाते है, जबकि सबसे कम नहरों से सिंचित राज्य मिजोरम हैं।

      2) कुंआ और नलकूप

      भारत के उत्तरी जलोद मैदानी भाग में जल का भंडार पाया बाता है। यह कैसा तथा नलकूप से अल आसानी से निकाला जा सकता है। इसलिए मैदानी भागों में सिंचाई का सर्वोत्म साधन कुँआ और नलकूप को माना जाता है ।

      भारत में कुल सिंचित भूमि का कुंआ और नलकूप का सम्मिलित योगदान 56% है। इसमें नलकूप का योगदान 30% है ।

      कुआ और नलकूप से सर्वाधिक सिंचित राज्य

      1) गुजरात 2) उत्तर प्रदेश, 3) गोवा और 4) राजस्थान है। इसके अलावे पंजाब और महाराष्ट्र में भी कुंभ और नलकूप से सिंचाई कार्य किए जाते हैं।

      3) तालाब

      स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सिंचाई के साधनों में तालाब द्वारा सिंचित क्षेत्र के प्रतिशत में कमी आई है । वर्तमान समय में कुल सिंचित कार्य किया जाता है। तालाब से सर्वाधिक सिंचाई भारत के प्रायद्वीपीय भागों में की जाती है और तालाब से सर्वाधिक सिंचित राज्य तामिलनाडु है, उसके अलावे आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और झारखण्ड के कुल भागों में तालाब से सिंचाई की जाती हैं।

      भारत में सर्वाधिक सिंचित क्षेत्रफल वाले 5 राज्य –

      1) उत्तर प्रदेश

      २) राजस्थान

      3) पंजाब

      4) आंध्र प्रदेश

      5) मध्य प्रदेश

      प्रतिशत के हिसाब से सर्वाधिक सिंचित राज्य –

      1) पंजाब – 99.60%

      2) हरियाणा – 91 %

      3) उत्तर प्रदेश – 81%

      4) पश्चिम बंगाल – 67.10%

      5) तामिलनाडु – 68.51

      विभिन्न फसलों के अतंर्गत सिंचित क्षेत्र-

      मक्का – 25.3%

      चावल – 58.7%

      गेहूँ – 92.9 %

      गन्ना – 94%

      तिलहन – 27.6 %

      दलहन – 16.1%

      कपास – 35.9 %

      ज्वार – 9.7%

      बाजरा – 8.5%

      जौ – 73.3

      Irrigation in india

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