Forest in india, भारत में वनस्पतियों की लगभग 45,000 और जीव-जंतुओं की लगभग 75,000 प्रभातियां पाई जाती हैं। भारत में भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 24.56%, भाग पर बनों का फैलाव है, यानि देश में कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 712249 km² क्षेत्र में बनों का फैलाव है’। भारत के कुल राष्ट्रीय आय में बनों का योगदान लगभग २%, है।1
विश्व के कुल बनों का लगभग 1.85%, वन भारत मैं पाये जाते है १ भारत में कुल बनों का लगभग १३%, वन अष्णकटीबंधिय वन पाये जाते है, जबकि 71% भाग पर शीतोष्ण कटीबंधिया वन पाये जाते हैं।
भारत में कुल वनों में करीब 12% भाग पर सदाबहार वन पाए जाते हैं ।
Forest in india – वनों के प्रकार
संपूर्ण देश के वनस्पति को निम्न भागों में बताकर देखा जा सकता है –
1) पर्वतिय वन प्रदेश
पर्वतों की ऊँचाई और वर्षा के अनुसार वनों को निम्न भागों में बांटकर देखा जा सकता सकता है
a) कोणधारी या शंकुधारी वन
इस प्रकार के वन मुख्य रूप से 2500m से 8600m ऊँचाई एक पर्वतीय भागों में पाये जाते हैं। इस वन प्रदेश में देवदार कास्ट, चीड़ और कोक के वृक्ष पाये जाते है। ये बन मुख्य रूप से हिमालय के मध्यवर्ती भाग में पाये जाते हैं।
b) अल्पाईन वन
इस प्रकार के वन 2800m से 4800m तक की ऊँचाई में पाये जाते है। इस प्रदेश में अधिकतर चारागाह बन पाये जाते है, जिसे मर्ग का आता है। कश्मीर में इसी क्षेत्र में गुलमर्ग, सोनमर्ग आदि पाये जाते हैं। इसके अलावे बस प्रकार के वनों में मुरला रूप से बर्थ और जुनिफर के वृक्ष पाये जाते हैं।
2) चीर-हरित वन
इसे ही सदाबहार वन भी कहा जाता हैं। उस प्रकार के वन वहाँ पाये जाते है, जहाँ वर्षा 200cm से अधिक होती है । इस प्रकार के वन मुरल रूप को भारत के पश्चिमी घाट, अडमान निकोबार दीप समूद, भारत के पूर्वी राज्यों और हिमालय के तरई के प्रदेश में पाये जाते हैं। इस प्रकार के वनों में महोगनी, आबनोस, बेंत, बांस, ताड, सिनकोना थादि के वृत्त पाये जाते हैं।
3) पर्णपाति या पतझड़ वन
कस प्रकार के वन 2000m से कम वर्ष वाले क्षेत्रों में पारो जाते है। इस प्रकार के बन मुख्य रूप से छोटानागपुर के पठार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और ओडीसा में पाये आते है। उसके भालावे प्राथीिपीय भागों में भी इस प्रकार के वन पाये जाते है। इस वन में मुख्य रूप से आम, मछुआ, त्रिफला आदि के इस पाये जाते है, जबकि प्रायद्वीपीय भागों में श्रीराम सागवान, चंदन आदि के वृक्ष पाये जाते हैं।
4) शुष्क एवं कटीले वन
इस प्रकार के वन बहो पाये जाते है, जहाँ 50cm से 1000 के आस-पास वर्षा होती हैं। ऐसे वन मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान उत्तर प्रदेश के दक्षिण भाग तथा मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में पाये बाते हैं। इस वन में मुख्य रूप से बबुल, खजुर, कीकर आदि के वृक्ष पाये आते हैं।
5) ज्वारीय वन
ये वन भारत के पूर्वी तट पर पाये आते हैं, इसे की मैग्रो वन कहा जाता है। उसे सुंदरी वन भी कहा जाता है। इस प्रकार के वन पश्चिम बंगाल, गुजरात, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा के पूर्वी भागों में पाये जाते हैं ।
प्रशासनिक स्तर पर वनों को मुख्यतः तीन भागों में बाटा गया है –
1) सुरक्षित वन / आरक्षित वन (Reserved Forest)
सभी क्षेत्र को भारतीय वन अधिनियम के अंतर्गत पूर्ण रूप से आरक्षित रहते है, या बिना अनुमति के सभी क्रिया कलापों पर रोक लगा राहता है, तो उसे आरक्षित वन कदा आता है। यह कुल वनों का लगभग 56%. है।
2) संरक्षित वन (Protected Forest)
ये वन भी सरकार के देख रेख में रहती है, लेकिन स्थानिय लोगों को मवेशी घराने, या जतावत के लिए लकड़ी काटने की अनुमति रहती है। से वन कुल पनों का के 30% है।
3) अवर्गीकृत वन (unclassified Forest)
इस प्रकार के वनों में सभी प्रकार की छूट रहती है। यह वन’ कुल वनों का 14% है।
भारत के भौगोलिक क्षेत्र में वनों का वर्गीकरण इस प्रकार से भी किया गया है
1) प्रायद्वीपीय पठारों एवं पहाड़ी क्षेत्रों में कुल बनों का 57% वन पाये जाते हैं।
२) पूर्वी तथा पश्चिमी घाटों के मैदानी इलाकों में कुल वनों का २०% बत पाया जाता है।
3) हिमालय क्षेत्र में कुल बनों का 18% वन पारी आते हैं।
५) मैदानी भागों में कुल बतों का 5% से 7% वन पाये जाते है।
2019 वন Report के अनुसार सर्वाधिक वन क्षेत्रफल के हिसाब से 1) मध्य प्रदेश २) अरुणाचल प्रदेश 3) दन्तीसगढ़ 4) उड़ीसा ।
जबकि प्रतिशत की दृष्टि से सर्वाधिक वन –
1) लक्षसीप – 90.33%
१) मिजोरम 85.41%
3) अरुणाचल प्रदेश 79.63%
इस Report के अनुसार वनावरण में सर्वाधिक वृक्षि कर्नाटक राज्य में हुआ है, इसके बाद आंध्र प्रदेश और केरल राज्य में हुआ है।
इसी प्रकार इस Report के अनुसार देश में मैग्रोवन क्षेत्र बिश्व का लगभग 3 % है। भारत में मुख्य रूप से मैंग्रो वनों का विस्तार पश्चिम बंगाल, गुजरात, अंडमान निकोबार सीप समूह में पाया जाता है। इस Report के अनुसार सबसे ज्यादा बांस का वन अरुणाचल प्रदेश में पाया जाता है, इसके बाद मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में पाया जाता है।