Khortha lok sahitya , दुगो सबद लोक आर साहित्य कर मेल से बनल हइ जेकर सोझा सोझी अरथ लोकेक साहित हव हे । हिंया लोक’ सबद कर माने ‘ जन सामाइन ‘हइ मेंतुक ‘ साहित्य’ सबद कर अरथ ‘समाजिक चितरन’ हव हे। मेनेक लोक सामाइन समाज कर चितरत करवश्या लोक साहित कहा हइ।
दोसर अरथे कहल जाइ, कि लोक साहितके अरथ कम पढ़ल – लिखल, अनपद, सहर आर गांव से दूर रहवड्या बोन झार आर टोंगरी पहाड़ ठावेक लोक जीवन कर पाइत किरिया कलाप से हइ ।
Khortha lok sahitya – खोरठा लोक साहित्य
डॉ. कृष्ण देव उपाध्याय लिखल ह्य कि आधुनिक सभ्यता से दुर परकिरितक वातावरने निवास करवइया अशिक्षित आर असभ्य लोकेक अचार बिचार ब जीवन परमपारिक जे बखान करो हइ ओकरा लोक साहित्य कहल जाह ।
हुवे डॉ रविंद्र भ्रमर के मते लोक साहित्य लोक मानुसेक सहज आर सोभाविक अभिबेकति हइ । जे परइ अलिखित रहो हइ आर मुहा मुही एक पीढ़ी से दोसर पीढ़ी तइक बढ़ो हइ ।
एकर छाड़ा (आलावे) हिंदी साहितेक सबद कोसे लोक सादित ऊ मउखिक अभिबेअकति हइ जे, कोन्हो बेअकति बनवल नाञ हइ, बिचकुन समाइन लोकेक जिनगीक बखान करो हर आर ई जुग जुगादी से चलल आइ रहल हई 1
ई तरी फरीछ एव हड़ कि लोक साहित अनपढ़ आर बसकिताक अलिखित साहित हइ, के वरना परिया काल से सामुहिक रूपें लोक अन अपनाई के चलल आइ रहल हई । जेकर लसतंगा आपना संसकिरति आर परकिरति से पावल जा हे ।

Khortha lok sahitya – भेद
लोक साहितें लोक मानुसेक जिनगीक चितरन भिन्नु- भिन्नु रूपें करल जाहे । सहे खातिर लोक साहितकर भिन्नु – भिन्नु बिधा (भेद) पाबल जाहे ।
लोकगीत
लोकगीत कर माने लोकेक बारे गावल गीत हव हे जे कोन्हों मनोरंजन के बड़का साधन हव हे ।
लोककथा
लोक बाटले कहल कथा, लोक बातले सुनल कथा लोकक बारे कहल कथा जे गोटा लोकेक मनोरंजन करेक काम करो हइ । ई मउखिक परमपरा से पीढ़ी दर पीढ़ी चलल आइ रहल हइ । सेहे टाक लोककथा कहल जा हे ।
लोकगाथा
लोकगाथा वहसन काहनी गीत एकई ब्रेकर बखान कथा बार गीत कर माधियम से कहल जाहे ।
लोकनाटक
समाजे मउखिक परमपराक मनोरंजन कर बडका दिरिसय विद्या हइ कर खातिर भिन्न-भिन्नु पातर (पत्र) आर दरसक हरेक दरकार हइ ।
प्रकीर्ण साहित्य
प्रक्रिर्ण साहित कर अरथ लोक साहिते वइसन साहित बा विधा से हइ जे समाजे छिरिआइल, फिटाइल, पसरल , फइलल हेन – तेन कपें पावल जाहे । इसके अंतर्गत अहना / मुहावरा, लोकोक्ति / लोकवाइन , बुझवन आर मंतर आवो हइ ।
Khortha lok sahitya – बिसेसता
खोरठा लोक साहित्य कर विसेताक बोड भनडार हइ । हिंआ मुझ्ख बिसेसताक हठे रकम देखल जाई
खोरठा लोक साहित मौखिक परमपरा से सनचालित एव हुई। जे हजारो हजार बदर से मुहा मुही पीठी दर पीढ़ी चलल आइ रहल हइ ।
खोरठा लोक साहितेक बिसेसता हइ, कि ऐकर सरल सहज आर अलंकार रहित हव हे । मेनेक ई कोन्हों बनावटी नाञ बिचकुन प्रकिरति से जनमल हइ ।
खोरठा लोक साहित कर मुइख बिसेसता हइ, कि एकर लासतंगा आपन संसकिरति भार प्रमिति से छइ । इयानी खोरठा लोक साहिते प्रकिरति कर चितरन जइसे नदी, नाला, पहार, परबत, बोन – झार पसु – पंछी, चांद सुरज आरो आरोक बेस तरी करल जा हे ।
खोरठा लोक साहिते कोनहो खास जाइत, धरम, समुदाय, लिंग आरो-आरो बखान नाञ् करो हुई, विचकुन गोरा मनुउख प्रास्तेक बरनत करो दई । मेनेक लोक सादितें मानव समतावादी समानेक चितरन मिलो हुई ।ई ता खोरठा लोक सादितक एगो बोड बिबसता हकई ।
खोरठा लोक सादिते आदिवासी भार सदान कर माँने समरसताक गुन समता, सहयोग, सेवा, समानता आर समतिवय आरो. आरो चितरन करो छइ ।
खोरठा लोक सादितेक बिसेसता हइ, कि खोरटा खेतरेक पडत परख तेहार, संसकार आर मउसम के बेस भावें बखात करो हइ ।
Khortha lok sahitya – महत्व
लोक साहित के पहीले लोक गवार, मुख, आर जंगली साहित कर महनता दे छलथ मामकिन अइसे अइसे ऐकर अधियन अधियापन सोच विचार चिनतन-मनथन बढ़े, लागलइ तो लोक साहितकर माइनल महतम बइढ, गेल हइ ।
लोक सहितेक डॉ. स्वर्ण लता जी खिखल दय, कि “लोक सादित मदत पर समाइन जन-जीवन से जुडल दिरा अइसन छइ, बेकर कहियो मंद नात्र पडतङ् ॥ खोरठा लोक सादितेक महत ऐकर से भिन्नु नान् छइ, पूरा मनुखेक जिनगीय लोक साहित समाइल हुए । एकर महतम के हेठे रकम देखल जाइ
इतिहासिक महत्व
इतिहासिक न्पित्र बसुत से हमनिक गिआर आर बुझ्ध (बुद्धि) बढ़ावेक काम करो छइ । खोरखक लोक गीत लोक कथा, मुहाबरा, कहावत आरो. आरो सोब उतिदासिक चित्र बसुत से भरल पडल हइ ।
भउगोलिक महत्व
लोक साहिते दइर अइसन गांव, ठाँव केकान, नदी, पदार कर नाम आने हुइ, जेकर गुनगात भार बिसेसताक बखान लोक सादितें करल आहे । खोरठा छेतरेक लुकु पहार पारसनाथ पहार, मधुदी महार आरो आरे भगोलिक ठाव बेकान कर पितरन लोक गीत, लोक कथा आर प्रकीरत सादिते करल जाहे ।
समाजिक महत्व
लोक सादित के समाजकर बदवझ्या रूपै माबल आहे सेहे खातिर सादित के समाज कर अदना कहल आहे । समाज आर परिवार कइसन रहो छ, माई बाचेक करतब बेटा बेटीक पियार भाइ बहन आरो. आरो माँझे रिसता नाता कइसन रहो हइ ।
धारमिक महत्व
भारतेक लोकगीत आर लोककथा, धरम-कर वेक्रोड बिबरण पावल आहे । झारखंड छेतरें पड़त परख तेहार कोन्हों कोन्हों देवी-देवक पूजा-पाठ करल जाहे ।
सांसकिरतिक महत्व
लोक सादित आपन संसकिरति कर संरळक आर वादक कहा हरु । लोक मानुसेक पूरा जीनगीक आसथा आर बिसुबास लोक सादितें जीवनत रखल जाहे।
आरथिक महत्व
खोरठा लोक कथाए अइसन कदनीक परमपरा हइ, जेकर से गरीब लोक इ रकम धन कमाई खातिर अनिज बनिज चहल जाइ हय । खोरठा लोक गीतें आरथिक काज- बेपार जइसे काम धनधाक गीत, रोपनी गीत आरो. आरो वरनन मिलो हइ।
नइतिक महत्व
लोक साहिते अनुभव, गियान भार सिखान कर बाद करल आहे । खास कहर खोरठा लोक सादितेक कहावते कदल बात कर नइतिक सिधा रूपै समाजे सखल आहे । उ समाज केतना विकसीत रहे, ऊ बात कर धरथा हमनीक नइतिक सिधा रूपें लोक सादिते मिलो छइ ।
चिकित्सीय महत्व
लोक साहिते झारखंडेक जडी. बुटी आर अउसधी बताइया, गाध -बिरिछ पर बखान करल गेडल छइ । आज इसन कहल आइ पारे कि हामनीक लोक साहित से आयुर्वेद चिकित्सा कर जनम भईल हइ ।
ई बात से कहल जाइ पारे नि खोरना लोक साहितेक बोड महत हइ । खोरठा लोक साहितेक महत फुरछावेक लागीन कहल जाइ पारे कि सिस्ट साहिते सेज कर फूल हकइ जे छनीक सोभा बदावेक काम करो हइ ।