Verb in Khortha – क्रिया
जिस शब्द से किसी काम के करने, होने, अधिकार संबंध या अवस्था का बोध होता है, उसे क्रिया कहा जाता है। क्रिया शब्द का आधार “धातु” कहलाता है।
क्रिया के भेद – Verb in Khortha
1. सकर्मक क्रिया 2. अकर्मक क्रिया 3. प्रेरणार्थक क्रिया 4. संयुक्त क्रिया 5. जोड़ा क्रिया 6. दोहरी क्रिया 7. पूर्वकालिक क्रिया 8. क्रियाथर्क क्रिया 9. सहायक क्रिया 10. नामधातु क्रिया
1. सकर्मक क्रिया :-
जिस क्रिया के साथ कर्म रहता है या रहने की संभावना रहती है उसे सकर्मक क्रिया कहते है।
जैसे :- रामू किताब पढ़ो हइ | इस वाक्य में रामू कर्ता है और किताब शब्द कर्म क्योंकि पढ़ने की क्रिया का फल किताब पर पड़ रहा है। यहाँ इस वाक्य में स्पष्ट रूप से कर्म दिखाई पड़ता है | अतः “पढ़ना” सकर्मक क्रिय है।
जैसे- रामू पढता है।
इस उदाहरण में पढ़ने की क्रिया वर्तमान है पर कर्म (किताब) नहीं है। यदि प्रश्न किया जाए की क्या पढ़ता है? तो उत्तर मिलेगा की किताब पढ़ता है। अतः इस वाक्य में कर्म स्पष्ट रूप से नहीं रहने पर भी पढ़ना क्रिया सकर्मक क्रिया है।
2. अकर्मक क्रिया :-
ऐसी क्रिया जिसमे कर्म नहीं रहता है और न रहने की संभावना रहती है | उसे अकर्मक क्रिया कहते है।
जैसे :- रामू हसो हइ|सामू सुतल हई |गिदर कांदे लागल हइ |
यदि यहाँ प्रश्न किया जाए क्या हस्त है? क्या सोता है? क्या रोता है? तो कोई उत्तर नहीं मिलता है। अतः यह अकर्मक क्रिया है।
3. प्रेरणार्थक क्रिया :-
वैसी क्रिया को कहते है जिस बात से पता चले की कर्ता किसी को कहते स्वयं काम नहीं करके किसी दूसरे को काम करने के लिए प्रेरित करता है
शुरुआती स्वयं काम कर रहा है। जैसे :- रामू हर जोतो हइ । मकाम तक रामू हर जोतावो हइ । कर्ता स्वयं कम न कर दूसरे से करवाता है अतः यह प्रेरणार्थक क्रिया है।
प्रेरणाथक क्रिया के दो भेद होते है –
a. प्रथम प्रेरणार्थक :-
कर्त्ता किसी अन्य से काम करवाता है। जैसे :- रामू हर जोतावो हइ
b. द्वितीय प्रेरणार्थक :-
रामू हर जोतवावो हइ | इस वाक्य से इस बात का पता चलता है की कर्त्ता स्वयं न कर के दूसरे से कह कर तीसरे व्यक्ति से करवाता है।
प्रेरणार्थक क्रिया सदैव सकर्मक होती है। बच्चा रोता है | – छउआ कंदों ह । श्याम भीगता है । – श्याम भीजो हइ।
द्विकर्मक क्रिया :-
जब किसी क्रिया से साथ दो दो कर्म हो तो उसे – द्विकर्मक क्रिया कहते है।
जैसे :- गुरुजी बच्चे को किताब पढ़ाते है।
पिता जी बेटे को कहानी सुनते है।
4. संक्युत क्रिया :-
जब मूल क्रिया के साथ एक सहयोगी क्रिया लगी होती है तो उसे संयुक्त क्रिया कहते है।
जैसे :- सीता पढ़े लागल हइ |राम गावे लागल हइ |
इनमे “पढ़ना” “गाना” मूल क्रिया है तथा “लागल” सहयोगी क्रिया है।
5. जोड़ा क्रिया :-
खोरठा भाषा की विशेषता है इस तरह की क्रिया का प्रयोग गिरिडीह, कोडरमा जिले में होता है।
जैसे :-रामू खाइब करो हइ |
सीता सुतब करो हइ |
गुरूजी आइब करो हथी|
बाबू चलब करो हइ |
यह क्रिया रूप संयुक्त क्रिया के समान होता है।
6. दोहरी क्रिया :-
इस तरह के क्रिया भेद में दोनों क्रिया के मध्य हाइफन (- ) होता है।
जैसे :- पढ़ा-लिखा, देखा सुना, घूमता फिरता
7. पूर्वकालिक क्रिया :-
वैसी किया को कहा जाता है जब कोई मुख्य क्रिया के करने से पहले कोई अन्य क्रिया की गई हो या संपन्न हुई हो ।
जैसे :-नहाइ के खइलइ |
खाइ के सुतलइ |
सूत के उठलइ |
8. सहायक क्रिया :-
सहायक क्रिया पूर्ण रूप से कल बोधक होती है।
जैसे :- हइ, हे, हलइ आदिसीता पढ़ो हइ |
इसमें “हइ” सहायक क्रिया है।
सीता पढ़ो हलइ |
इसमें “हलड़” सहायक क्रिया है।
9. क्रियार्थक संज्ञा :-
जा के व्यवहार में आवे त जब क्रिया संज्ञा के व्यवहार में आवे तब वह क्रियार्थक संज्ञा कहलाती है।
जब मूल धातु में “एक” या “न/ना” प्रत्यय जोड़ते है तो ऐसी क्रिया बनती है।
जैसे :- हिंदी में खा + ना = खाना
जा + ना = जाना
पी + ना = पीना
इसी प्रकार खोरठा में
खा + एक = खाएक
जा + एक = जाएक
पी + एक = पीएक
यद्धपि ये क्रिया है किन्तु क्रिया की तरह प्रयुक्त न होकर संज्ञा की तरह प्रतीत होती है।
जैसे –
खाना बन गया |
खाना अच्छा था।
यहाँ “खाना” शब्द क्रिया के अर्थ में प्रयुक्त न होकर खाने की वास्तु (संज्ञा) जे रूप में उपयुक्त हुआ है। अंग्रेजी में मूल क्रिया में “ing” प्रत्यय जोड़कर ऐसी क्रिया बनाई जाती है जिसे “Gerund” कहते है।
जैसे :- Eat + ing = EatingSmok + ing = Smoking
10. नामधातु/नाम बोधक क्रिया :-
जब संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया विशेषण शब्द से क्रियावाची/क्रियाबोधक बनाये जाते है तो उसे धातु कहतेहै।
जैसे :-पढ़ + ना = पढ़ना
पढ़ + एक = पढेकक = पढेक
देख + एक = देखेक
नाम बोधक धातु से क्रिया :-
संज्ञा शब्द से :-
सोटा + एक = सोटेक
हथ + इआवेक = हथयावेक
लात + इआवेक लतिआवेक
डहर + आवेक = डहरावेक
सर्वनाम शब्द से क्रिया :-
आपन + आवेक=अपनावेक
विशेषण शब्द से क्रिया :-
गरम + आवेक = गरमावेक
उसुम + आवेक = उसमावेक
नरम + आवेक = नरमावेक
क्रिया विशेषण शब्द से क्रिया :-
दनदन + आवेक = दनदनावेक
कचकच + आवेक = कचकचावेक
अव्यय शब्द से क्रिया :-
भीतर + आवेक = भीतरावेक
अव्यय शब्द से क्रिया :-
भीतर + आवेक = भीतवे
बाहर + आवेक = बहरावेक
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