खोरठाक सबद संपइत (khortha shabd sampada) = ठेठ + तत्सम + तद्भव + वदेशज
हर भाषा की अपनी ध्वनियां होती है और ध्वनियों के मेल से या व्यवस्था से शब्द बनते हैं।
हर भाषा के अपने शब्द भी होते है
क ( कंठ ध्वनि) + म (ओष्ठक ) + ल ( अन्तस्थ) = ध्वन चिन्हृ
कलम • हिन्दी शब्द
कलम (काटना) – हिन्दी/उर्दू शब्द
मलक (चमकना) – खोरठा
हर भाषा के अपने शब्द होते है लेकिन भाषा निश्चित स्थान तक ही सीमित नहीं रहती
भाषा एक सामाजिक चीज है समाज के विकास के साथ-साथ भाषाओं का भीविकास होता है
जिस प्रकार समाज में लेन-देन होता है, रिश्ते-नाते होते है, मिलना-जुलना होता है इसी तरह भाषा में भी लेन-देन चलता है
• शब्दों का या ध्वनियों का लेन-देन चलता रहता है। एक भाषा से दूसरे भाषा मैं शब्द आते जाते रहते है। कई शब्द लम्बे अरसे के बाद उस भाषा के अपने शब्द बन जाते है या उस भाषा के कोष में वो भी शामिल हो जाते हैंजो प्रभावशाली समुदाय की भाषा है वो प्रभावी समुदाय में स्थानांतरित होती है
जैसे :-अंग्रेज – हिन्दी / खोरठा
हमारे कुछ शब्द दूसरी भाषाओं में गए है साथ ही उनके कुछ शब्द हमारी भाषाओं में आए हैं।
• इससे ही निरंतर भाषा का विकास होता रहता है।> कुछ शब्द मरते भी है समय के कालक्रम के साथ
जैसे :-कूडी, लाटखम्बा, रहट, चांड / चाइड
• साथ ही नये शब्द की उत्पत्ति भी होती है
• जिस भाषा में जितनी ज्यादा सर्वग्रासी प्रवृत्ति होती है / जितनी ज्यादा पचाने की ताकत होती हैं वो भाषा सबसे समृद्ध मानी जाती है
khortha shabd sampada – शब्द सम्पदा / शब्द समपइतः-
किसी भी भाषा के जितने भी सारे शब्द है, उसके अपने मूल है, वह शब्द जोबाहर से आए, वो शब्द इस सारे शब्दों का जो समन्वित रूप है, जो मेल है। उसे कहते है उस भाषा कि शब्द सम्पदा / शब्द समपइत
शब्द समपइत को कैसे अलग-अलग चिन्हित कर सकते है-
खोरठा के ठेठ / मूल शब्द
• तत्सम
• तद्भव / अर्द्धतत्सम
देशज
विदेशज – 1 )अंग्रेजी 2) उर्दू-फारसी/अन्य
खोरठा के ठेठ / मूल शब्द :-
• जो दूसरो के पास नहीं मिलेंगे और अगर मिलेंगे भी तो ये खोरठा के अपने मूल शब्द है, इसे ही कुछ लोगो ने देशज कहा है।
तत्सम
• संस्कृत के समान जो शब्द है उन्हें कहेंगे तत्सम ।
• खोरठा में तत्सम शब्द का प्रयोग बहुत कम है, नहीं के बराबर है।
• कुछ संस्कृत के शब्द जैसे संस्कृत में लिखे जाते है वैसे ही खोरठा में भी लिखे जाते है।
जैसे :- हंस
तद्भव / अर्द्धतत्सम\
कई जानकार तद्भव और अर्द्धतत्सम को समान मानते है, लेकिन कुछ जानकार अर्द्धतत्सम को तद्भव से अलग मानते है ।
अर्द्धतत्सम –
जो पूरी तरह से तत्सम नहीं है, थोड़ा अर्द्ध तत्सम है।
तद्भव है । जिसका उद्भव संस्कृत से ही हुआ है, जो तत्सम से निकला हुआ है ।
देशज :-
• हिन्दी और संस्कृत वालो ने कहा है, ये अज्ञात वियुतपत्तिक है।• देशज ही ठेठ शब्द है ।
विदेशज:-
• जो विदेशी मूल के हो ।
ठेठ / मूल शब्द को रचना के आधार पर 03 प्रकार के होते है
1. रूढ़ / रोढ़िया शब्द
2. यौगिक / जोरनि शब्द
3. योगरूढ़ / जोरनरोढ़िया शब्द
1. रूढ़ शब्द
ऐसे शब्द जो किसी अन्य ने कहा और वह शब्द आने वाली पीढ़ी के लिए मान्य हो गया है या उनपर चिपका दिया गया हो।रूढ़ शब्द को अगर टूकड़ा करेंगे तो कोई अर्थ नहीं निकलता है।
घर = घ + र
रूढ़ को हम Abritrary कहेंगे या मान लिया गया है।हमारे जितने अधिकांश संज्ञा शब्द है रूढ़ शब्द हो चुके है ।
2. यौगिक शब्द
दो शब्दों का मूल / जोड़ यौगिक शब्द है। जब हम ऐसे शब्दों – को तोड़ते है तो इनके अलग-अलग अर्थ निकलते है।
मटकटा = माटी काटा ( माटी काटने वाला)
गातजारा = देह जलाने वाला
चामसूखा. हाड़तोरा
• मलकमारा■ कामचोर
गगाड़ी. बैलगाड़ी
नोट :- इन दोनो अर्थों से भिन्न तीसरा अर्थ नहीं निकलता है।
3. योगरूढ़ शब्द -.
तेलचट्टा – तेल + चट्टा (तेल को चाटनेवाला) एक कीड़ा विशेष के लिए = है ।
अठगोड़वा – (आठ जिसका गोड़ हो) = एक विशेष कीड़ा शरीर के चमड़ी में चिपका हुआ होता है और खुन चुसता है।
■ अंधरिया-इंजोरिया – अंधेरा-उजाला लेकिन खोरठा में कहते है मासिक = धर्म (Periods)
■ चोरबाती – चोर + बाती टॉर्च-
■ घरभुतुवा घर + भुतुवा (घर का भूत) – छोटा बच्चा (नौकर) जिसे तनख्वा नहीं दिया जाता सिर्फ भोजन दिया जाता है । की लगाता है किपनडुबकि – पइन + डुबकी – पंक्षी जो पानी में डुबकी लगाता है।
■ पइनसोखा – पानी + सोखा (पानी सोखने वाला) = इंद्रधनुष
• पानी सोखने वाला कुछ भी हो सकता है लेकिन एक खास के लिए रूढ़ हो चुका है।
व्युत्पति/उत्पति की दृष्टि से :-
ठेठ शब्द –
जो दूसरे शब्द भाषाओं में नहीं है, ऐसे ठेठ शब्द वो हमारे मूलशब्द कहलाते है।
संज्ञा शब्द
डुभा = बड़ा कटोरा
डोल = बाल्टी
■ उभइन=पानी भरने वाली रस्सी
■ डोरा = रस्सी
■ खाँची = बांस की टोकरी
• खाँचा = बांस का विशाल टोकरा
■ टोकी = बांस की टोकरी (पवित्र टोकरी जिसका प्रयोग शादी-विवाह एवं अन्य शुभ कार्य के लिए किया जाता है ।)
■ पथिया = छोटी टोकरी
■ मउनी सबसे छोटी टोकरी =• टुपला / टुपा = टोकी का छोटा रूप
सर्वनाम शब्द
पुरूषवाचक सर्वनाम- प्रथम पुरूष हम / हाम/ हामिन/ हामरिन / हामनि (मगही में) • मध्यम पुरूष – तोत्रं / तोहिन / तोहरिन-अन्य पुरुष ऊ / ओखिन / ओखरिन
निश्चयवाचक सर्वनाम – ई / ऊ / ईटा / ऊटा
अनिश्चयवाचक सर्वनाम – केउ / के / कोइ / कोन्हो/जे / कुछ
क्रिया शब्द
कांदेक – रोना (क्रंदन से बना है)
■ टानेक – खीचना
टोमडेक – खोजना
■ टोनेक – काटना
■ टांडेक अनावश्यक व्यस्त रखना
■ टोकेकबात करना
■ तेपेक गाड़ना
■ दोमेक – काफी पीटना
■ दोदेक मुकरना (बात से)
■ दांजेक – अनुमान करना
कोचेक – ठुसना
विशेषण शब्द
रंगवाची विशेषण
चरक सफेद
■ गोला ललछोर
■ सवना धूसर■ घुजाकाला
आकारवाची
ठुरका / नटरा/टेपा/ टेपरा / ठुपा नाटा. डोड़गा / डोड़गी / ढांगा / ढांगी / ढगली / ढंगला – लम्बा• टोसार चौड़ा
अन्य•
टेरा – जिसका एक आँख कमजोर हो कटे हाथ वाला
■ लुल्हा
क्रिया विशेषण शब्द
• करे-करे गेलइ
गते-गते चलोहइ
• हड़बडाइ के उठलइ
रसे-रसे कहलइ
अर्द्धतत्सम शब्द
सूर्य – सूरूज
• चन्द्र – चाँद
• चक्र – चक्का
■ वक्र – बांका
■ धर्म धरम
■ कर्म – करम
■ मर्ममरम
■ नर्क – नरक
कर्म करम
■ नम्रनरम
नोट :- लगभग मिलते – जुलते शब्द
तद्भव के शब्द
जैसे :-मक्र = मगर – मंगर
गोविष्ठा = गोइठा
गोस्ठ (गाय को जहाँ जमा करते थे ।) = गोठ
विदेशज शब्द
1. अंग्रेजी के शब्द
पेन मशीन रेल हास्पीटल मोटर पुलिस स्कूल कोर्ट
2. उर्दू / फारसी शब्द
खैर खून
इमान – मुकदमा
जन्नत पजामा
खांसी – खुशी
हाजिर – जवाब
लुंग्गी शैतान
* khortha shabd sampada *