Parliamentary Privilege – संसदीय विशेषाधिकार

Parliamentary Privilege, संसदीय विशेषाधिकार का तात्पर्य एसे अधिकारों और छुट से है, जो संसद या राज्य विधानमंडल के प्रत्येक सदन, उसके सदस्यों एवं समितियों को सामूहिक एवं व्यक्तिगत तरीकों से प्राप्त होता है । संसदीय विशेषाधिकार का उद्देश्य संसद या राज्य विधान मेडल की स्वतंत्रता और उसकी गरिमा की रक्षा के अनुसंकेद के करना है । भारतीय संविधान 105 और 194 हमारे सांसदो और विधान मंडलों के सदस्यों को विशेषाधीकार प्रदान करते है।

Parliamentary Privilege –

संसदीय विशेषाधिकार वे विशिष्ट अधिकार होते हैं जो संसद के दोनों सदनों को प्राप्त है। उनके सदस्यों एवं समितियों को भी प्राप्त है। विशेषाधिकार इस दृष्टि से दिए जाते है, जिस संसद के दोनों सदन, उसकी समिति और सदस्यगण स्वतंत्र रूप से कार्य कर सके और उनकी गरिमा बनी रहे।

संसदीय विशेषाधिकार वे विशिष्ट अधिकार होते हैं, जो संसद के दोनों सदनों को प्राप्त है उनके सदस्यों एवं समितियों को भी प्राप्त हैं।

Parliamentary Privilege – श्रोत

संसदीय विशेषाधिकार 5 स्रोत पर आधारित है –

1. संवैधानिक प्रावधान

2. संसद द्वारा बनाए गए विभिन्न कानून

3. दोनों सदनों के नियम

4. संसदीय सम्मेलन

5. न्यायिक व्याख्या

Parliamentary Privilege – वर्गीकरण

भारतीय संविधान में प्रत्येक सदन के विशेषाधिकार को दो भागों में बांटकर देखा जा सकता है –

1. व्यक्तिगत विशेषाधिकार

सदस्यों द्वारा व्यक्तिगत रूप से उपयोग किए जाने वाला विशेषाधिकार ‘और उससे संबंधित छूट । इसके अंतर्गत

a) गिरफ़्तरी से मुक्ति या छूट

1976 ई० में अधिनियम की धारा104 के द्वारा संशोधित सिविल प्रक्रिया संहित की धारा 135 के अंतर्गत सांसद या राज्य विधान मंडल के सदस्यों को अधिवेशन के एक 40 दिन पहले या बात की अवधि के दौरान उन्हें गिरफ्तारी से छूट दिया गया है, लेकिन यह छूट केवल सिविल मामले में ही प्राप्त है, न कि आपराधिक मामले में सदस्यों के गिरफतारी के पूर्व संबोधित सदन के अध्यक्ष या सभापति को सूचित करना अनिवार्य होता है।

b) साक्षी के रूप में उपस्थिति से छूट

संसद या राज्य विधान मंडल के अधिवेशन के दौरान संबंधित सदन के अध्यक्ष या सभापति के आदेश के बिना किसी भी न्यायालय के समक्ष साक्षीके रूप में उपस्थित होने के लिए बांधे नहीं किया जा सकता है

c) बोलने की स्वतंत्रता

सांसद या राज्य विधान मंडल सदस्यों को संबंधित सदन में भाषण करने की पूर्ण स्वतंत्रता होगी और ऐसे भाषण के लिए उसके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती है यहां भी उन्हें दंड से छुटकारा दिया गया है सदस्यों को संसाधन उसके समिति में कहीं गई किसी बात के लिए किसी भी न्यायालय में उत्तरदाई नहीं ठहराया जा सकता है लेकिन संविधान द्वारा सदन में बोलो कि एक मर्यादा हो बताई गई है जिसे उन्हें निर्वहन करना होता है ।

2. सामूहिक विशेषाधिकार

सामूहिक विशेषाधिकार – सदस्यों द्वारा सामूहिक रूप से उपयोग किए जाने वाले विशेषाधिकार । इसके अंतर्गत

a) सदन के कार्यवाहियों के प्रकाशित करने तथा अन्य को प्रकाशित करने से रोकने का अधिकार हैं।

b) जो व्यक्ति सदन का सदस्य नहीं हो उसे सदन से बाहर निकालने का अधिकार प्राप्त हैं।

c) सदन के आंतरीक मामलों को तथा सदन के भीतर उत्पन्न होने वाले मामलों को निपटारा करने का अधिकार हैं।

d) सदन के सदस्यो तथा बाहरी व्यक्तियों को सदन के विशेषाधिकार का उल्लंघन करने पर दंडित करने का अधिकार है।

e) सदन की कार्यवाही को न्यायालय के द्वारा आँच से रोकते का अधिकार प्राप्त हैं।

f) किसी सदस्य की गिरफ्तारी, कारावास, तथा रिहाई के संबंध में सूचना प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त हैं।

g) सदन की किसी गोपनीय बैठक की कार्यवाहीयों का तथा निर्णयों को प्रकाशित करने पर रोक लगाने का अधिकार प्राप्त हैं।

भारतीय संविधान संसदों और विधान मंडल के सांसदों एवं उससे संबंधित समितियों को पूरी स्वतंत्रता दी गई हैं। संसद परिषद् के भीतर अध्यक्ष या सभापति के अनु‌मति के बिना सिविल आपराधिक कोई कानूनी नोटिस नहीं दिया जा सकता है, और अध्यक्ष एवं सभापति के अनुमति के बिना संसद भवन के भीतर किसी को गिरफ्तार नहीं किया था बकता है, क्योंकि संसद के अधिकार क्षेत्र में केवल अध्यक्ष या सभापति के ही आदेशों का पालन किया जाता है। यहां किसी प्राधिकार या किसी स्थानिय प्रशासन का पालन नहीं किया जाता है ।

विशेषाधिकार भंग करने या सदन की अवमानना करने पर निर्धारित अवधि के लिए कारावास या दंड का प्रावधान किया गया है। एसी स्थिति में सदन दो प्रकार की दंड दे सकती है।

a) सदन की सेवा से निलम्बीत किया जा सकता है।

क) सदन से बाहर निकाला जा सकता है।

किसी गंभीर मामले मे सदन के किसी सदस्य को मार्शल की सहायता से बाहर निकाल दिया जाता हैं। इसके अलावे सदन को अपने क्षेत्र में दंड देने का पूरा अधिकार है। इस प्रकार सदन की अवमानना करने पर दंड का प्रावधान किया गया है। यह शक्ति संसदीय विशेषाधिकार की नींव मानी जाती है।

Parliamentary Privilege – संसदीय विशेषाधिकार

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