Biomolecule – जैव अणु

Biomolecule, जैव – अणु जीव उत्तकों में मिलने वाली सभी कार्बनिक यौगिकों को कहा जाता है । जैव अणु हमारे शरीर में या पौधों में शारीरिक वृद्धि और वानस्पतिक वृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक है ।

Biomolecule – जैव अणु

भोज्य पदार्थों में वे उपयोगी रासायनिक घटक जिनका उपयुक्त मात्रा में उपलब्ध होना शरीर के विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए अति आवश्यक है, उसे जैव – अणु कहा जाता है । इसके अंतर्गत कार्बोहाइड्रेड, वसा और प्रोटिन आते हैं ।

Biomolecule - जैव अणु

Biomolecule – कार्बोहाइड्रेड

कार्बोहाईड्रेट एक कार्बनिक यौगिक है. जो कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के एक निश्चित अनुपात 1:2:1 के मिलने से बनता हैं। इसे ही कार्बोहाइड्रेड कहा जाता है। कार्बोहाइड्रेड भोज्य पदार्थ से प्राप्त होते है, और हमारे शरीर में ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। कार्बोहाइड्रेड का मुख्य स्रोत चावल, गेहूं बाजरा, मक्का शहद, चुकंदर, आलू आदि में पाये जाते हैं।

रासायनिक संरचना की दृष्टिकोण से यदि कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण किया जाए, तो उसे तीन भागों में बांटा जा सकता है

a) मोनोसेकेराइड – ग्लूकोज राइबोज फ्रैक्टोज

b) डाइसेकेराइड – सुक्रोज, लेकटोज, मालटोज

c) पॉलीसेकेराइड – सैल्लुलोज और स्टार्च

कार्बोहाइड्रेट के कार्य

ये हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करते है, शरीर में बसा के उपयोग के लिए कार्बोहाइड्रेड अति आवश्यक माना जाता है।

ये प्रोटीन को शरीर के निर्माण कार्यों के लिए सुरक्षित रखता है, और शरीर की ऊर्जा की मांग की पूर्ति करता है ।

कार्बोहाइड्रेट की कमी में शरीर का वजन घट जाता है, साथ ही साथ शरीर की कार्य क्षमता भी घट जाती है, लेकिन इसके अधिकता के कारण मोटापा जैसे बीमारी उत्पन्न हो जाती हैं।

Biomolecule – वसा

यह हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाली प्रमुख खाद्य पदार्थ है, को C, H₂ और 02 से मिलकर बनी होती है लेकिन इसमें कार्बोहाइड्रेट की तुलना में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती हैं। जल में यह पूर्ण रूप से अघुलनशील है, लेकिन पैट्रोलियम, क्लोरोफॉम आदि में घुलनशील हैं।

रासायनिक दृष्टिकोण से यदि वसा का वर्गीकरण किया जाए, तो दो प्रकार का होता है –

a) वास्तविक वसा

इस प्रकार की वसा मुख्य रूप से प्रकृति में वनस्पति में, विभिन्न प्रकार के कनों में, बीज आदि में प्रर्याप्त में पाये जाते हैं।

b) संयुक्त वसा

इसे कृत्रिम रूप से प्राप्त किया जाता है। इसलिए इसे लीपीड कहा जाता हैं।

वसा के कार्य

वसा मुख्य रूप से दूध, मांस, मछली, घी आदि में पाया जाता है। इसके कार्य निम्न है

यह ठोस रूप में हमारे शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है। 1 ग्राम वसा में 9 cal ऊर्जा प्राप्त होती हैं।

यह खाद्य पदार्थों में स्वाद उत्पन्न करता है, और खाने को रुचिकर बनाता है।

यह त्वचा के नीचे जमा होकर शरीर के ताप को बाहर निकलने नहीं देता हैं।

यह हमारे शरीर के विभिन्न अंगों को चोट लगने से बचाता है।

यह प्रोटीन के स्थान पर ऊर्जा प्रदान करता है ।

वसा के कमी से त्वचा रूखी हो जाती है, वजन में कमी आ जाती है। शरीर का विकास अवरुद्ध हो जाता है, लेकिन वसा के अधिकता के कारण शरीर स्थूल हो जाता है और हृदय की बीमारियां उत्पन्न होने लगती हैं ।

Biomolecule – प्रोटिन

प्रोटीन एक अत्यंत जटील एवं नाइट्रोजन युक्त पदार्थ है। प्रोटीन की संरचना लगभग २० एमीनो अम्ल से मिलकर बनी है। एमीनो अम्ल शरीर के पोषण के लिए अधिक अनिवार्य हैं। प्रोटीन मुख्यतः कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन और फास्फोरस का योगिक है।

संगठक के आधार पर प्रोटीन को 2 भागों में बांटकर देखा जा सकता है –

a) सरल प्रोटीन

इसके जटिय अपघटन से एमीनो अम्ल प्राप्त होता है। जैसे- ग्लोकिन्स

b) संयुक्त प्रोटीन

यह वैसा प्रोटीन है, जिसका संयोजन प्रोटीन के अलावे अन्य अणुओं से भी होता है। जैसे- फास्फोरस प्रोटीन, क्रोमो प्रोटीन, ग्लाइको प्रोटीन आदि ।

प्रोटीन का मुख्य स्रोत दूध, दाल, पनीर, अण्डा बादाम, सोयाबीन आदि प्रमुख हैं।

प्रोटीन के कार्य

प्रोटीन एंटी-बॉडीस के रूप में शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है ।

यह कोशिकाओं में वृद्धि करता है और टूटे हुए कोशिकाओं की मरम्मत भी करता है।

कुछ प्रोटीन हारमोन के संश्लेषण में भाग लेता है।

यह हिमोग्लोबीन के रूप में शरीर में गैसीय संवहन का कार्य भी करता हैं। र

अनेक जटिल प्रोटीन उपापचय क्रियाओं में भाग लेता है और एंजाईम के रूप में कार्य करता है ।

प्रोटीन की कमी से शरीर की मांसपेशीयां कमजोर हो जाती है। शरीर का भौतिक और शारीरिक विकास अवरुद्ध हो जाता है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घट जाती है।

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