Desertification – मरुस्थलीकरण

Desertification, मरुस्थलीकरण एक भौगोलिक घटना है जिसमें उपजाऊ क्षेत्र में भी मरूस्थल जैसे विशेषताएं विकसित होने लगती है । इसमें जलवायु परिवर्तन तथा मानवीय गतिविधियों समेत अन्य कई कारणों से अर्ध शुष्क ईलाकों की भूमि रेगिस्तान में बदल जाती है इसमें मिट्टी के उत्पादन क्षमता कम हो जाते हैं और धीरे-धीरे भूमि बंजर हो जाती है ।

Desertification – मरुस्थलीकरण

मरुस्थलीकरण से प्राकृतिक वनस्पति तो प्रभावित होती है साथ ही कृषि की उत्पादकता, पशुधन एवं जलवायु से संबंधित घटनाएं भी प्रभावित होती है इसे ही मरुस्थलीकरण कहा जाता हैं ।

विज्ञान और पर्यावरण मंत्रालय के एक रिपोर्ट के अनुसार 2003 से 2005 तक और 20॥ से 2017 ई० के बीच करीब 18. 7 लाख हेक्टेयर भूमि का मरुस्थलीकरण हुआ है । हाल के रिपोर्ट के अनुसार भारत का करीब 96 मिलियन हेक्टेयर या 29% भाग मरुस्थल में तबदील होते जा रहा है और करीब 26 राज्य इस समस्या से ग्रसित है ।

Desertification – मरुस्थलीकरण के कारण

जल द्वारा अपरदन

भारत में मरुस्थलीकरण का एक प्रमुख कारण मिट्टी का जल के द्वारा अपरदन होना है वर्षा के कारण गुजरात के स्वास्थ्य तथा अध्यक्ष के ऊपरी भाग तथा राजस्थान के मरुस्थल के पूर्वी भाग में जहां वर्षा कम होती है वहां किस प्रकार की क्रियाएं देखी जाती है इसके कारण भूमि में हिमालय के आकार की आकृति बन जाती है जिससे मिट्टी की पोषक तत्व समाप्त हो जाते हैं जिसके कारण इन क्षेत्र में मरुस्थलीकरण का विस्तार हो रहा है ।

वायु द्वारा अपरदन और जमाव

राजस्थान के थार मरुस्थल क्षेत्र में बालू के टीले, भूमि अपरदन और जमाव के कारण बन जाते हैं । एक रिपोर्ट के अनुसार थार मरुस्थल में खास कर पूर्वी क्षेत्र में बालू की टीले, पश्चिम की अपेक्षा अधिक ठोस दिखाई देती है यानी भूमि का एक बड़ा भाग वायु के अपरदन क्रिया के कारण मरुस्थलीकरण का रूप लेते जा रहा है दूसरी और आज ही भी परंपरागत कृषि के तरीके के कारण और ट्रैक्टर के द्वारा गहरी गीता के कारण बालों से होने की घटना से कारण का विस्तार हो रहा है ।

वनों की कटाई

मरुस्थलीकरण का एक बड़ा कारण प्राकृतिक वनों की कटाई भी है। जनसंख्या के दबाव के कारण भूमि पर दबाव बढ़ने लगा है। फलस्वरूप वनों की कटाई में तेजी आई है । इस प्रकार की भूमि पर कई सालों से कृषि नहीं होने से ऐसी भूमि मरुस्थल में बदल जाती है।

सेटेलाईट के चित्र के अनुसार पश्चिमी राजस्थान का लगभग 32% भाग समान्य मरुस्थलीकरण तथा 4०% भाग गंभीर मरुस्थलीकरण से प्रभावित है।

हवा से मिट्टी का कटाव

हवा से मिट्टी के कटाव के कारण मरुस्थलीकरण में बढ़ोतरी हुई है । मरुस्थल के अन्य भागों में किसान यह स्वीकार करते हैं की ट्रैक्टरों के जरिए गहरी जुताई के कारण पर कृषि कार्य करना अधिक समय तक जमीन को खाली छोड़ने देना आदि के कारण सहित का प्रसार हो रहा है और जमीन की एनिवर्सरी कारण की प्रक्रिया में तेजी आई है ।

औद्योगिक कचरा

हाल के वर्षो में राजस्थान के औद्योगिक कचरे से भूमि और जल प्रदूषण की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है राजस्थान के जोधपुर पाली बीकानेर आदि शहरों में कपड़े की रंगाई छपाई के उद्योगों से निकलने वाले कचरे को नदियों में छोड़ दिया जाता है । जिससे भूमिगत और सतही जल प्रदूषित हो रहे हैं । जिसके फलस्वरूप मिट्टी भी प्रदूषित हो रही है और भूमि बंजर होते जा रही है ।

Desertification – रोकने के उपाय

मरुस्थलीकरण के कारण न केवल मानव जीवन बल्कि वन्य जीवन भी प्रभावित हो रहा है । भूमि बंजर होते जा रही है और साथ ही साथ भू क्षरण की समस्या तेजी से बढ रही है । इससे निकट भविष्य में खाद्यान्न की समस्या बढ़ने की संभावना है । यही कारण है कि पूरी दुनिया मरुस्थलीकरण को लेकर चिंतित हैं ।

इस चिंता ने विश्व के लगभग सभी देशों को मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए एक जुट किया है । UNCCD की स्थापना 1994 ई० में इसी समस्या को लेकर की गई थी और इसी समस्या से संबंधित एक बैठक 2019 ई० में नई दिल्ली में हुई थी । जिसमें करीब 150 देशों ने भार लिया था । मरुस्थलीकरण से संबंधित COP 14 की बैठक हुई थी । जिसमें मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए निर्णय लिया गया ।

इस प्रकार से वैश्विक स्तर पर भी मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं । इसके अलावा कुछ अन्य उपाय है –

बालू के टीले का स्थाईकरण करना

वृक्षारोपण करना

पशु पालन

आवश्यकता अनुसार न्यूनतम खेतो की जुताई करना

धारीदार फसल को लगाना

Desertification

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: