Earthquake, भूकंप मुख्यत दो शब्दों से बना है – भू और ‘कम्प’ जिसका शाब्दिक अर्थ होता है – पृथ्वी का कम्पन । भूकंप का अध्ययन सिस्मोलॉजी कहलाता है।
भूपटल में पृथ्वी के आंतरिक और बाह्य शक्तियों के प्रभाव से ऊपन्न कंपन भकंप कहलाता है। दूसरे शब्दों में कंपन पृथ्ती के आंतरिक आकस्मिक शक्तियों के कारण पृथ्वी का कोई भाग या खंड वेग से काँप उठता है, तो उस कंपन को भूकंप कहा जाता है।
Earthquake – भूकंप के कारण
भूकंप के कई कारण हो सकते है –
भूकंप का प्रमुख कारण ज्वालामुखी का उद्गार है, क्योकि परिप्रशांत पेटी में अधिकांशतः भभूकंप ज्वालामुखी केउद्गार के कारण ही होता हैं।
कुछ विद्वानों धीरे – धीरे का मत है, कि पृथ्वी के भीतर का तापमान कम होने लगता है, जिसके कारण पृथ्वी सिकुड़ने लगाती है। फलस्वरूप पृथ्वी में दरार पड़ जाता है, जो भूकंप का मुख्य कारण होता है।
कुछ विद्वानों का मानना है, कि भभूगर्भ में चट्टानों में खिचाव या तनाव के कारण चट्टानें टूटने लगती है 1 फलस्वरूप पृथ्वी के स्तर में परिवर्तन होने लगता है, जिससे पृथ्वी कांपने लगती हैं।
कुछ विद्वानों का मत है, कि पृथ्वी के अंदर किसी कार से जल पहुंच जाता है, और वह धीरे – धीरे वाष्प में परिणत होने लगता है। वाष्प की मात्रा बढ़ने लगती हैं। जिसके कारण भू-पटल पड़ दवाव पड़ता है। फलस्वरूप पृथ्वी कंपीत हो जाती हैं।
Earthquake – भूकंपीय तरंगों के प्रकार
अवकेंद्र (Hypocentre) में ऊर्जा मुक्त होने के कारण काय तरंग उत्पन्न होती है। ये तरंगे पृथ्वी में सभी दिशाओं में संचरण करती हैं। इसे तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है –
1) प्राथमिक तरंग (P)
प्राथमिक तरंगें भू-पहल पर होती हैं। यह सबसे तेज चलने 1 सकेंड में 8 km से ठोस, द्रव्य और गैस सबसे पहले उत्पन्न वाली तरंगें होती हैं। यह 14km चलती हैं। ये तरंगें तीनों में चलती हैं। यह अधिकेंद्र से 145″ के बाद दिखाई देती हैं।
2) द्वितीयक तरंग (S)
इसकी गति 4 kmls से 6 kmls होती , जो केवल ठोस पदार्थ में चलती है।
3) धरातलीय / पृष्ठीय तरंग (L)
ये तरंगें धरातल में सबसे बाद में पहुंचती हैं। यह 3 km/s की दर से चलती हैं। इसलिए इसे लम्बी बहन अवधि तरंगें भी कहा जाता है। ये तरंगें जल और स्थल दोनों में चलती हैं। यह तरंगें सबसे विनाशकारी होती हैं।
जहां भूकंपीय तरंगों की सूचना नहीं प्राप्त होती है , उसे छाया क्षेत्र कहते हैं । ये क्षेत्र प्राथमिक और द्वितीयक तरंगों के लिए अलग होती हैं।
Earthquake – भूकंप के प्रकार
भूकंप के कई प्रकार बताएँ गए हैं , जिसमें प्रमुख हैं –
ज्वालामुखी भूकंप
जब पृथ्वी के गर्म होने से आंतरिक हलचल के कारण पीघला हुआ मैग्मा और लावा जब भू-पटल पर बाहर की ओर प्रवाहीत होने लगता है। तो उसके दबाव के कारण चट्टाने हिल जाती है। इसके कारण भूकंपीय की स्थिति पैदा होती है, जो अत्यंत ही घातक होता है।
विवर्तनिक भूकंप
जब किसी कारण से भूपटल में खिंचाव आता , तो उसमें दरार या मोड़ पड़ जाती है। फलस्वरूप भूकंपीय लहरें पैदा होती है । जिसके कारण विवर्तनिक भूकम्प आता हैं।
सम स्थानिक भूकंप
पर्वतीय प्रदेशों में नदीयो चट्टानो को काट – छाट कर और उसे अपने साथ बढाकर ले जाती है और फिर उसे मैदानी भागों में या समुद्र के तटीय भागों में जमाकर देती है । इस तरह से स्थल और समुद्र के दोनों भागों पर मालवा जमा हो जाता है। जिल कारण स्थल भाग और समुद्र के भार में असंतुलन पैदा हो जाता है, जिसके कारण भू पटल कम्पीत हो जाता है। इसे ही सम स्थानिक भूकंप कहते हैं।
Earthquake – भूकंप का क्षेत्र
विश्व को कई भूकंप क्षेत्रों में बांटा गया है
भूकम्प का शून्य क्षेत्र
व) ब्राजील का पठारी इलाका
b) कनाडा का अंगारालैण्ड
c) भारत में दक्कन का पठार और छोटानागपुर का पठार
विश्व के प्रमुख भूकंपीय क्षेत्र
1) परिप्रशांत पेटी
प्रशांत महासागर के चारों ओर फैले हुए इस क्षेत्र में सर्वाधिक भूकंप आता है । जापान इसी पेटी के अतंर्गत आता है।
2) मध्य अटलांटिक पेटी
अटलांटिक महासागर के बीच के मेखला को इस मध्य अटलांटिक पेटी कहा जाता है। भाग में भी भूकंप आते हैं। इसके अलावे हिंद महासागरीय क्षेत्रों में भूकंप की उत्पति होती हैं।
भूकंप के तरंगों का माप
सिस्मोग्राफ
यह भूकंपीय तरंगों की तीव्रता और अवधि मापती है।
रिक्टर स्केल
भूकंप के तीव्रता मापने का एक गणितिय पैमाणा है।
सुनामी
भूकम्पीय तरंगों के कारण महासागरीय जल में उत्पन्न जल तरंगों को जापान में सुनामी कहा जाता है। सुनामी का शाब्दिक अर्थ बंदरगाही लहरें होती हैं ।
परि प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में सबसे अधिक रसूनामी आती है, क्योंकि यह ज्वालामुखी और भूकंप का प्रमुख क्षेत्र हैं।
भारत में हिमालय का क्षेत्र सर्वाधिक भूकंपीय क्षेत्र हैं।
भारत में पूना, देहरादून दिल्ली, मुंबई तथा कोलकात्ता में भूकंप मापक केंद्र स्थापित किये गये हैं भ।
Earthquake – भूकंप की तीव्रता
भूकंप की तीव्रता | परिणाम | प्रभाव |
साधारण तीव्रता | 4.3 | सामान्य अनुभव |
कम तीव्रता | 4.8 | घंटियों का बजना |
तीव्रन | 5.4 | झटका लगना |
प्रचण्ड | 6.1 | धरातल में दरार पड़ना |
विध्वंसकारी | 6.8 | भूमि का जोरों से हिलना |
प्रलयकारी | 8.1 | सर्वनाश |