Buddhism, बौद्ध धर्म श्रमण परंपरा की प्रमुख शाखा हैं जिसकी स्थापना महात्म बुद्ध ने की । सनातन संस्कृति में व्याप्त कुरुतियों के कारण ही Buddhism की स्थापन हुई।
Buddhism – बौद्ध धर्म
बौद्ध धर्म की स्थापना ईसा पूर्व छठी शताब्दी में महात्मा बुद्ध ने की थी। गौतम बुद्ध का जन्म 563 BC में कपिलवस्तु के निकट लुम्बनी वन में कुआ था, जो छत्रीय परिवार से आते थे। उनके पिता शुद्धोधन शक्य गण से आते थे। इनके पिता शुद्धोधन शक्य गण के प्रमुख थे।
गौतम बुद्ध के जन्म के 7वें दिन उनकी माता कौशल वंश की राजकुमारी महामाया की मृत्यु हो गयी और उनका लालन-पालन मौसी महाप्रजापती गौतमी ने की थी । गौतम बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ था।
जन्म के बाद सिद्धार्थ को जयोतिषियों से दिखाया गया, एक ज्योतषि मानवक ने बताया की यह बालक बहुत बड़ा सन्याशी बनेगा। मानवक ने बताया की यह बालक अगर 4 लक्षण वृद्ध, रोगी, मृत और प्रवज्जीत (सन्याशी) को देख लेगा तो बहुत बड़ा सन्याशी बन जाएगा ।
राजा शुद्धोधन में सिद्धार्थ का विवाह 16 वर्ष की उम्र में यशोधरा नामक कन्या से कर दिये, और तमाम सुख-सुविधा उन्हें महल में उपलब्ध कराई गई, ताकि वे शहर की ओर न जाए।
29 वर्ष की आयु सिद्धार्थ अपने घर से निकलकर शहर की ओर जा रहे थे। रास्ते में इन्हें 4 लक्ष्ण दिखाई दिये –
एक बूढ़ा आदमी, बीमार व्यक्ति, मृत व्यक्ति और सन्यासी (प्रतञ्जीत)
इन 4 लक्षण को देखने के बाद सिद्धार्थ के मन में विरक्ति के भाव जाग्रीत हो ग, और उनके अंतर्मन में निवृति मार्ग का उदय हो गया।
सिद्धार्थ शहर से अपने पार की ओर लौटते है, और घर आने पर उन्हें पुत्र पैदा होने की सूचना दी आती है, तो बुद्ध में कहा की राहु पैदा हुआ है, बंधन पैदा हुआ है।
इस घटना में बुद्ध को निवृति मार्ग और भी तेज को गई और वे अपनी सारथी छंदक को बुलाकर अश्वराज कंथक को तैयार करने को बोला, फिर वहां से रथ पर सवार होकर अपने घर से निकल पड़े लेकिन निकलने वाले इनके मन में एक इच्छा जागृत हुई कि मौ नवजात शिशु को देख लिया जाय ।
परंतु चौखट पर पहुंचत हुए देखा कि यशोधर अपने पुत्र राहुल को सिर पर हाथ रखकर सुला रही है। फिर इसके बाद वहाँ से सिद्वार्थ लौट जाते है।
इसके बाद अश्वराज कन्थक पर सवार होकर छंदक के साथ अपने उम्र के 29 वर्ष में अपना घर त्याग देते है। बौद्ध साहित्य में इस घटना को महाभिनिष्क्रमण कहा जाता है।
आगे बढ़ते हुए फिर वे अनुमा नदी के तट पर पहुंचते है, और नदी के किनारे वे अपने कामी का वस्त्र त्याग कर और अपना सिर मुण्डीत कर लेते हैं। इस प्रकार वे प्रवज्जा धारण कर है ।
पाली साहित्य में कदा गया , कि सिद्धार्थ के प्रवजा के बाद छंदक रोते हुए घर वापस लौट जाता है, और कत्थक नामक अश्वराज वियोग में अपना प्राठा वही त्याग देता है।
35 वर्ष की आयु में घुमते – घुमते बुद्ध बोधगया के उरुवेला नामक स्थान पर पहुंचते है, और वही पर पीपल वृक्ष के नीचे निरंजना नदी के तट पर पद्मासन की मुद्रा में आसन ग्रहण कर लेते है और वही पर उन्हें ज्ञान की प्राप्ति होती है, उस घटना को सर्वोच्च ज्ञान कहा जाता है। इसे ही बोधीसत्व भी कहा जाता है, और बुद्ध को परम शांति की प्राप्ति होती है ।
बुद्ध घुमते-घुमते सारनाथ के ऋषिपत्तनम् पहुंचते है। वहां पर उन्होंने अपना प्रथम उपदेश दिया। इस घटना को पाली साहित्य में धर्मचक्र प्रवर्तन कहा जाता हैं।
उन्होंने अपना उपदेश पाली भाषा में दी, और घुम घुम कर उन्होंने उपदेश दिया। वे मगध, कौशल, वैशाली, कौशाम्बी और श्रावस्ती में जाकर अपना उपदेश दिया। उन्होंने सबसे अधिक प्रवचन श्रवस्ती में दी दिये थे। बुद्ध ने कई तपस्तीयों को भी उपदेश दिये थे, जिसमें प्रमुख थे, कौन्डील्य, वात, भदीय और महानाम को उपदेश दिये को।
गौतम बुद्ध ने पुरे मगध क्षेत्र में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार किया । बुद्ध के प्रमुख अनुवायी में बिंबिसार, प्रसेनजीत और उदयन जैसे शासक भी थे।
483 BC में उत्तर प्रदेश के देवरीया जिले में कुशीनगर नामक स्थान में बुद्ध पुर्णिमा के दिन सूकर के मांस खाने से पेट में पिड़ा हुई, और बुद्ध की मृत्यु हो गई। पाली साहिय में इस पाटना को महापरिनिर्वाण कहा जाता है।
बुद्ध के मरते वक्त उनका प्रिय शिष्य आनंद उनके साथ था, जिसे बुद्ध ने अंतिम उपदेश दिये थे। मृत्यु के बाद उनके अस्थी अवशेष को आठ राज्यों में बांटा गया था और उस पर बौद्ध स्तुप का निर्माण कराया गया।
Buddhism – बुद्ध के जीवन की प्रमुख घटनाएं
घटना | स्थान | प्रतीक |
जन्म | लुम्बिनी | कमल और सांड |
महाभिनिष्क्रमण (गृह त्याग) | कपिल वस्तु | घोड़ा |
निर्वाण (ज्ञान की प्राप्ति) | बोध गया | बोधि वृक्ष |
धर्मचक्र प्रवर्तन (प्रथम उपदेश) | सारनाथ | चक्र |
महापरिनिर्वाण (मृत्यु) | कुशीनगर | स्तूप |
Buddhism – बौद्ध संगीतियां
बौद्ध सभा | संरक्षक | स्थान | अध्यक्ष | वंश | वर्ष |
पहला | अजातशत्रु | राजगृह | महाकश्यप | हर्यक | 483 ईसा पूर्व |
दूसरा | कालाशोक | वैशाली | सुखकामी | शिशुनाग | 383 ईसा पूर्व |
तीसरा | अशोक | पाटलिपुत्र | मोग्गलिपुतिस | मौर्य | 250 ईसा पूर्व |
चौथा | कनिष्क | कश्मीर के कुण्डवन | वसुमित्र | कुषाण | 72 ईस्वी |
Buddhism – संप्रदाय
कनिष्क के शासन काल में, चतुर्थ बौद्ध संगीति में बौद्ध धर्म दो भागों में विभावित दो गया – हिनयाण और महायाण ।
हिनयाण संप्रदाय
हिनयाण संप्रदाय के लोग बौद्ध धर्म के परंम्परागत नियमों पालन करते थे ।
महायाण संप्रदाय
महायाण संप्रदाय वाले लोग परिवर्तनवादी थे। वे बौद्ध धर्म में आधुनिक विचारों को समावेश चाहते थे। महायान संप्रदाय में बुद्ध की मूर्ति पुजा की जाने लगी थी, और कुशान वंश का कनिष्क महायान संप्रदाय को मानने वाला था। आगे चलकर महायान संप्रदाया भी तंत्र यान में बदल गया ।
तंत्रयाण / वज्रयान संप्रदाय
इसमें माँ तारा की पुजा की जाती थी । इसमें निर्वाण तंत्र और काले जादू की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है। फिर आगे चलकर विज्ञानवाद और शून्यवाद में विभाजन हो गया, विज्ञानवाद के प्रवर्तक मैत्रय नाथ थे, जबकि शून्यवाद के प्रवर्तक नागार्जुन थे। नागार्जुन को भारत का आईन्सटीन कहा जाता हैं और नागार्जुन की प्रमुख पुस्तक प्रज्ञापारमितासुत्र है ।
Buddhism – बौद्ध दर्शन / सिद्धांत
बौद्ध दर्शन में कहा गया है, कि बौद्ध धर्म अनिश्वरवादी है और बौद्ध धर्म अनात्मवादी है, बौद्ध धर्म पुनर्जन्म में विश्वास करता है, और निर्माण की प्राप्ति बौद्ध धर्म का परम लक्ष्य हैं। बौद्ध धर्म में चार आर्य सत्य बताए गये है-
Buddhism – चार आर्य सत्य
1. दुख जीवन दुखों से भरा है।
2. समुदाय दुखों के कुछ कारण होते हैं।
3. निरोध- ये रोके जा सकते हैं।
4. निरोध गामिनी प्रतिपद्या दुखों की समाप्ति का मार्ग
Buddhism – अष्टांगिक मार्ग
सांसारीक दुखों से मुक्ति पाने के लिए बौस धर्म में अष्टांगिक मार्ग बताए गये है। वे है –
1. सम्यक दृष्टि
2. सम्यक संकल्प
3. सम्यक वाणी
4. सम्यक कर्म
5. सम्यक आजीविका
6. सम्यक व्यायाम
7. सम्यक स्मृति
8. सम्यक समाधि
Buddhism – मध्यम मार्ग-
विलासिता और मितव्ययिता दोनों का त्याग करना
Buddhism – त्रिरत्न
बौद्ध धर्म में त्रि रत्न बताए गये है –
1) बुद्धम् शरणं गच्छामि ।
2) संधम् शरणं गच्छामि ।
3) धम्म शरणं गच्छामि ।
→ बौद्ध धर्म में ब्रजयान शाखा को प्रचार प्रसार हुआ था। जिसमें तंत्र-मंत्र का प्रभाव बढ़ गया था।
→ बुद्ध को मैत्रेय भी कहा जाता है, यानि बार-बार पृथ्वी पर आने वाले बुद्ध ।
→बिम्बीसार ने बुद्ध को वेणुवन विहार को दान में दे दिया। थ
→गौतम बुद्ध का जन्म साल वृक्ष के नीचे हुआ था। सम्बोधीज्ञान बरगद वृक्ष के नीचे हुआ था और सर्वोच्च ज्ञान पीपल वृक्ष के नीचे हुआ था।
→जन्म, सर्वोच्च ज्ञान, महापरिनिर्वाण = बुद्ध पुर्णिमा के दिन
Buddhism – बौद्ध साहित्य
बौद्ध साहित्य ग्रंथों में त्रिपिटक सबसे महत्वपूर्ण है। त्रिपिटक के अतंर्गत विनय पिटक, सुत पिटक और अभिव्धम्म पिटक आता है। विनय पिटक में बौद्ध संघ से संबंधित नियम और आचार दिये गए है, जबकि सुत पिटक में बौद्ध धर्म से संबंधित शिक्षाओं और उपदेशों का संकलन दिया गया है। इसके अलावे अभिधम्म पिटक में बौद्ध दर्शन से संबंधित और दार्शिनिक सिंद्धातों से संबंधित बातों की चर्चा की गई है।
→ बौद्ध ग्रंथ पाली भाषा में लिखे गये है।
→ जातक ग्रंथों में बुद्ध से संबंधित घटनाओं का वर्णन दिया गया है।
→ पाली साहित्य में बुक के अस्थि अवशेष शाह स्थानों में भेजें गये थे। वे स्थान है – कुशीनगर, पावा, वैशाली कपीलवस्तु, रामग्राम, राजगृह, अल्कप और कोलियग्राम। इन स्थानों पर बौद्ध स्तुप का निर्माण करता दिया गया ।
→ दीपवंश और महावंश नामक दो पाली ग्रंथों में मौर्य कालीन इतिहास की जानकारी मिलती है।
→नाग सिंध सेन द्वारा रचित मलिद पम्हों पाली भाषा में लिखित ग्रंथ है जिसमें हिंद यवन शासक मिनाडर की जानकारी मिलती है।
→ बौद्ध धर्म के हिनयान संप्रदाय का प्रमुख ग्रंथ कथावस्तु है, जबकि महायान संप्रदाय का प्रमुख ग्रंथ ललित विस्तार तथा दिव्यावदान है।