Gupta Age, उत्तर भारत में कुषाण सम्राज्य समाप्त होने के बाद गुप्त वंश का आगमन हुआ । इस काल के प्रमुख शासक थे श्री गुप्त, घटोतकच, चंद्रगुप्त I, समुद्र गुप्त, चंद्रगुप्त ॥, कुमार गुप्त, स्कंद गुप्त आदि । इनका काल 300 AD से 350AD रहा । धार्मिक साहित्य में मुख्य रूप से मत्सपुराण, वायु पुराण, विष्णु पुराण, नारद स्मृति और वृहस्पत्ति स्मृति में इसका इतिहासिक श्रोत उपलब्ध होता है ।
Gupta Age – गुप्त काल
श्री गुप्त (240AD-280AD)
गुप्त वंश का संस्थापक श्री गुप्त था । इसने ही गुप्त वंश की नींव रखी थी और “महाराज” की उपाधि धारण की थी। इसने मगध मे एक मंदिर का निर्माण करवाया था ।
घटोतकच (230AD-319 AD )
इसने श्रीगुप्त द्वारा प्रारंभ किये गए कार्यों को आगे बढ़ाया, और उसने भी “भालराज” की उपाधि धारण की थी। उसने गुप्त सम्राज्य का विस्तार करने का प्रयास किया।
चंद्रगुप्त – I (319AD-335AD)
Gupta Age का सबसे प्रसिद्ध शासक चंद्रगुप्त 1 हुआ । इसने “महाराजाधिराज” की उपाधि धारण की थी। इस काल में गुप्त काल को सम्राज्य का विस्तार हुआ था. और इसने बिच्चलती राजकुमारी कुमार देती से विवाह किया था।
इसने अपने राज्याभिषेक के समय 319AD में गुप्त संवत चलाया था। इस शासक ने पहली बार गुप्त सम्राज्य का विस्तार किया और मध्य भारत तक गुप्तों का साम्राज्य हो गया था और यह भागवत धर्म का अनुवाई था ।
समुद्र गुप्त (335AD-380AD)
चंद्रगुप्त-। का पुत्र समुद्रगुप्त हुआ । समुद्र गुप्त की जानकारी प्रयाग प्रस्तति अभिलेख से मिलती है । इस लेख को लिखने वाला हरिसेन था। दरिसेन गुप्त प्रशासन में संधि विग्राहक का कार्य करता था यानि विदेश विभाग का प्रधान अधिकारी था।
इस लेख में समुद्रगुप्त के सम्पूर्ण सम्राज्य विस्तार की जानकारी मिलती है। समुद्रगुप्त को भारत विजेता कहा गया है। इसलिए कर्नल स्मीथ ने समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा है ।
चंद्रगुप्त – ॥ (380AD-412 AD)
गुप्त वंश का सर्वाधिक प्रतापी शासक चंद्रगुप्त – ॥ हुआ । इसकी जानकारी मेहरौली अभिलेख से मिलती है, जो दिल्ली से प्राप्त हुआ है। चंद्रगुप्त – ॥ ने गुप्त सम्राज्य का विस्तार किया, और इसने परम भागवत, परम भटारक और देवराज की उपाधि धारण की थी।
चंद्रगुप्त 11 ने अपने वैवाहिक संबंधों के द्वारा गुप्त साम्राज्य की सुरक्षा की, और शक शासकों को पराजित कर गुजरात पर अधिकार कर लिया था और उसी समय चंद्रगुप्त – ॥ ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी।
चंद्रगुप्त ने उज्जैन को अपनी दुसरी राजधानी बनाया था और चंद्रगुप्त के उज्जैन दरबार में ही नव रत्व निवास करते थे। वे नवरून थे-
1) छपनक
2) धनवंतरी
3) वाराहमिहीर
4) कालिदास
5) अमर सिंह
6) वररुचि
7) शंकू
8) बैताल भट
9)हरिसेन
चंद्रगुप्त 1 के समय में दी चीनी यात्री फालयात भारत आया था और उसने सम्पूर्ण भारत में भ्रमण किया और अपना यात्रा वितरण लिखा था।
कुमार गुप्त (415AD – 455AD )
चंद्रगुप्त 11 के बाद कुमारगुप्त शासक बना। इसने “महेद्रादित्य” की उपाधि धारण की थी। इसने भी गुप्त सम्राज्य को सुरक्षित रखने का प्रयास किया, लेकिन अंतिम काल में गुप्त सम्राज्य पतन की ओर अग्रसर हो गया। भारतीय इतिहास में उसका एक मात्र उपलब्धी नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना था ।
कुमार गुप्त ने ही नालंदा की विश्वविधालय की स्थापना की थी। इस विश्वविद्यालय में धर्म, दर्शत, इतिहास और तर्कशास्त्र की शिक्षा दी जाती थी और इसमें प्रवेश लेने के लिए प्रतियोगिता परिक्षा देनी पड़ती थी।
स्कंद गुप्त (455AD-460AD)
इसके शासन काल में गुप्त सम्राज्य में गृह युद्ध छिड़ गया था। इसके कारण गुप्त सम्राज्य अंतिम रूप से पलन की ओर अग्रसर हो गया। स्कंद गुप्त को शक्रादित्य कदा आता था। स्कंद गुप्त के भितरी स्तंभ लेख से जानकारी मिलती है, कि स्कंद गुप्त के समय में गुप्त सम्राज्य पर हूणों का आक्रमण हुआ था, जिसके कारण गुप्त सम्राज्य की लक्ष्मी पलायन कर गई थी।
गुप्त सम्राज्य का अंतिम प्रतापि शासक कुमार गुप्त-11 हुआ था । इसके बाद प्रवर्ती गुप्त शासकों ने शासन व्यवस्था चलाई।
Gupta Age – गुप्ता प्रशासन
गुप्त काल में केंद्रिकृत शासन व्यवस्था थी और शासन का केंद्र राजधानी होता था। राजा सर्वोच्च होता था, और राजा का निर्णय दी अंतिम होता था। वह न्याय का श्रोत भी होता था। गुप्त वंश का राज चिल्क गरुड़ था और राजधर्म’ भागवत धर्म था ।
गुप्त प्रशासन में प्रशासनिक ढाचां इस प्रकार से थी
देश – देश का प्रधान गुप्ता
भुक्ति – भुक्ति का प्रधान उपरिक
विषय – जिला का प्रधान विषयपत्ति
ग्राम – ग्राम का प्रधान ग्रामपति
इस काल में कुछ अधिकारीयों की जानकारी मिलती है
महाबलाधिकृत – यह सेनापति था।
महादण्डनायक – यह न्यायाधिश होता था।
संधि विग्राहक – यह विदेश विभाग का प्रधान होता था यह युद्ध और संधि का परिनायक था
दण्डपासीक – यस पुलिस विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी था
ध्रुवाधिकरण – यह भूमि कर वसूलने वाला सबसे बड़ा अधिकारी था।
Gupta Age – भू-राजस्व प्रशासन
इस काल में आय के कई स्रोत थे, जिसमें मुख्य रूप से भू-राजस्व कर प्रमुख था। यह उपज का 1/6 लिया जाता था । इसके अलावे कुछ अन्य कर थे –
भाग – यह राजा का अंश होता था, जो 1/6 लिया जाता था
भोग – गुप्त काल में राजा को फल और सब्जि के रूप में दिया जाने वाला tax था।
उद्रग्र – यह स्थाई कृषकों से लिया जाने वाला tax था।
उपरिक – यह अस्थाई कृषकों से लिया जाने वाला tax था।
गुप्त काल में स्थापत्य कला का भी विकास हुआ था। इस काल में दी गुप्त शासकों ने मंदिर निर्माण शैली नागर शैली का विकास किया था। इसमें मंदिर के बीच में गर्भ ग्रह होता था, और मंदिर के चारों ओर प्रदक्षिण पथ होता है।
नागरशैली के मंदिर चबुतरा पर बना होता है। इसी काल में गुफाओं को काटकर मंदिर निर्माण रैली आया था। इस काल में बाघ की गुफा, अजंता की गुफा और एलोरा की गुफा में Panting बनाई गई थी।
गुप्त काल में साहित्य का सर्वाधिक विकास हुआ था । इस काल में कालिदास, भार्वी, विष्णु शर्मा, अमर सिंह जैसे विज्ञानों ने साहित्य की रचना की थी।
कालिदास का मेघदूतम्, भार्टी का इराताअर्जुनियम, विष्णुशर्मा का पंच तंत्र इसके अलावे धार्मिक ग्रंथों में अमृति साहित्य पुराण, महाकाव्य की रचना की गई थी।
इस काल मेंसबसे बड़े गणितज्ञ आर्यभट हुए थे, जिन्होंने दशमलव प्रणाली दिया था और इसी काल में वाराह मिहिर जैसे • खगोलशास्त्री हुए थे। इस काल की राजकीय भाषा संस्कृत थी । इस काल में विज्ञान और प्रौध्यौगिक का व्यापक विकास हुआ जबकि सर्वाधिक संस्कृत साहित्य 1
इसी काल में लिखे गये। इस प्रकार से स्थापत्य कला में, विज्ञान और प्रौद्योगिकि में, साहित्य और संस्कृति में गुप्त काल में व्यापक विकास हुआ था। इसलिए इस काल को स्वर्णकाल कहा जाता है।
– Gupta Age –