Revolt of 1857, यह विद्रोह लॉर्ड कैनिंग के शासन काल में हुआ था। इस विद्रोह के कई महत्वपूर्ण कारण थे। यह विद्रोह अंग्रेजी शासन के खिलाफ भारतीयों’ का संगठित विद्रोह था।
Revolt of 1857 – 1857 का विद्रोह
कंपनी की विस्तार वादी नीति और साम्राज्यवादी नीति, लॉर्ड डलहॉजी की हड़प नीति, इसाई मिश्नरीयों का धर्म प्रचार एवं धर्मानान्तरण ब्रिटिश का भारतीय सैनिकों के साथ भेदभाव और तातकालिक कारण गाय और सूअर की चर्बी लगी हुई कारतूस का उपयोग करने के कारण भारत में 1857 ई० का विद्रोह भड़क उठा था।
Revolt of 1857 – क्षेत्र
1857 का विद्रोह मुख्य रूप से उत्तर भारत के दिल्ली, बरेली , लखनऊ, जौनपुर बनारस, इलाहाबाद, कानपुर, झांसी, पटना, गारा, बैरकपुर और संभल पुर में हुआ था।
1857 के विद्रोह में चर्बी लगी करतूस का सर्वप्रथम 19 पलटन के मुर्शिदाबाद में supply की गई थी । जहाँ सैनिकों ने लेने से इनकार कर दिया था । 34 वीं रेजिमेंट के सिपाही मंगल पाण्डे ने पैरेड के दौरान सारजेंट ह्यूग्सन और कर्नल बाग को गोली मार दी थी।
इसके बाद वायलर और कर्नल हियरे के प्रयास से मंगल पाण्डे को गिरफ्तार कर लिया गया और 8 अप्रैल 1857 को उसे फांसी की सजा दे दी गई। इस प्रकार मंगल पाण्डे 1857 के विद्रोह का पहला विद्रोही था । इसके बाद विद्रोह पूरे देश में फैल गया ।
1857 के विद्रोह की शुरुवात 10 मई 1857 को मेरठ से हुआ था, और 12 जून तक यह सम्पूर्ण उत्तर भारत में फैल गया था । विद्रोहीयों ने 4 जून को कानपुर और बनारस, ॥ जून झांसी , 12 जून को ग्वालियर और काल्पी तक विद्रोहियों का कब्जा हो गया था। इस प्रकार संपूर्ण उत्तर भारत में 1857 बिगुल बज गया। इस आंदोलन में शिक्षित मध्यम वर्ग ने भाग नहीं लिया था ।
Revolt of 1857 के नेतृत्व कर्त्ता
इस विद्रोह के नेतृत्व करने वाले भारतीय
दिल्ली – जनरल बख्त खां और बहादुर शाह जफर ॥
बरेली और फैजाबाद – खान बहादूर खां और मौलवी अहम्दूलला
लखनऊ – बेगन हजरत महल
कानपुर – नाना साहब
झांसी और ग्वालियर – रानी लक्ष्मी बाई
काल्पी और मध्य भारत – तात्या टोपे
आरा और मोजपुर – वीर कुंवर सिंह
Revolt of 1857 के दमन कर्त्ता
दिल्ली – निकोल्सन और हटसन
बनारस और ईलाहाबाद – कर्नल नील
कानपुर – जनरल कैम्पवेल और हैवलॉक
लखनऊ – हेनरी लॉरेस और कैम्पवेल
झांसी – जनरल ह्यूगरोज
बिहार के आरा – जनरल डगलस, कर्नल हियरे, जनरल लिग्रांट
Revolt of 1857 की विचार धारा और स्वरूप –
1. मौलिसन ने कहा कि 1857 का विद्रोह सभ्यता और बरबर्ता के बीच का युद्ध था ।
2. सर जाँन लौरेंस ने कहा, कि 1857 का विद्रोह केवल सैनिक विद्रोह था, जिसे जनता का समर्थन प्राप्त नहीं था ।
3. बेंजामिन डिजरायली ने कहा, कि यह एक राष्ट्रीय विद्रोह था ।
4. पुर्न चंद्र जोशी ने कहा कि 1857 का विद्रोह एक राष्ट्रीय विद्रोह था ।
5. बीड़ी सवरकर ( निनायका दामोदर सावरकर ) ने कहा कि यह प्रथम राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्रम था ।
6. आर सी मजूमदार ( रमेश चंद्र मजूमदार ) ने कहा , कि ‘ यह विद्रोह ना ही प्रथम था और ना राष्ट्रीय था और ना ही स्वतंत्रता संग्राम था ।
Revolt of 1857 का परिणाम
Revolt of 1857 के बाद कई चीजों में परिवर्तन रहा
1. 1857 के विद्रोह के बाद भारत में ईस्ट इंण्डिया कंपनी का शासन समाप्त हो गया और अब सत्ता ब्रिटिश क्रॉउन के दाथ में चली गई।
2. विद्रोह के बाद भारत का गवर्नर जनरल को भारत का वायसराय कहा जाने लगा ।
3. ब्रिटेन की महारानी ने यह घोषणा, कि की देशी राज्यों के साथ कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा ।
4. इस विद्रोह के बाद मुगल सम्राट का पद समाप्त कर दिया गया।
5. इस विद्रोह के बाद सेना में (ब्रिटिश) भारतीयों की संख्या कम कर दी गई, और ब्रिटिश व्यक्तियों की संख्या बढ़ा दी गई।
6. अब ब्रिटिश फूट डालो और राज करों के नीति का पालन करने लगा ।
Revolt of 1857 के असफलता के कारण
1) 1857 के विद्रोह में राष्ट्रीय भावना का अभाव था और समाज के सभी वर्गों ने भागिदारी नहीं निभाई। शिक्षित, और भध्यम वर्ग इस विद्रोह से अलग रहा था।
2) 1857 की के विद्रोष के कमी थी और सुनियोजित नहीं था।
3) मुंबई, मदास, ग्वालियर, इंदौर, हैदराबाद, ओधपुर और परियाला क के शासकों ने विद्रोह को दमन करने में अपनी सेना भेजी थी यानि ब्रिटिश का सहयोग किये थे।
इन्हीं कारणों से 1857 का विद्रोह असफल हो गया था।