Forest – वन

Forest, प्राकृतिक वनस्पति को Green Gold कहा जाता है। विश्व में वनों का विभाजन इस प्रकार से किया गया है भू-मध्य रेखीय या चीर हरित वन , ऊष्ण मौनसूनी वन , शीतोष्ण कटिबंधीय मुलायम लकड़ी के वन , शीतोष्ण मौनजूनी वन , शीतोष्ण कटिबंधीय कठोर लकड़ी के वन , भू मध्य सागरीय और ऊष्ण मौनसूनी […]

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Human Species in the World – विश्व की प्रजातियाँ

Human Species in the World, मानव प्रजातियों का वर्गीकरण अलग-अलग विद्धानों ने अलग-अलग की है। मानव जाति को मुख्यतः 3 वर्गो में वर्गीकृत किया गया है । Human Species in the World – प्रजातियाँ का वर्गीकरण मानव प्रजातियाँ का वर्गीकरण – 1) काकेश्याडश प्रजाति २) मंगोलियाडस प्रजाति और 3) नीग्रिटो / निग्रीशाड प्रजाति है। 1)

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Tribes of the World – विश्व की जनजातियाँ

Tribes of the World, विश्व के प्रमुख जनजातियाँ और उसका निवास स्थान को तीन वर्गों में बांट कर देखा जा सकता है – 1) भू- मध्य रेखिय प्रदेशों में रहने वाली जनजातियां 2) ऊष्ण मरूस्थतियों प्रदेशों में रहने वाली जनजातियां और 3) टुन्ड्रा प्रदेशों में रहने वाली जनजातियाँ Tribes of the World – जनजातियाँ 1)

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Forest in india – भारतीय वन

Forest in india, भारत में वनस्पतियों की लगभग 45,000 और जीव-जंतुओं की लगभग 75,000 प्रभातियां पाई जाती हैं। भारत में भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 24.56%, भाग पर बनों का फैलाव है, यानि देश में कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 712249 km² क्षेत्र में बनों का फैलाव है’। भारत के कुल राष्ट्रीय आय में बनों का

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Irrigation in india – भारत में सिंचाई

Irrigation in india, भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ मौनसून की अनिश्चित्ता प्राय: देखी जाती है 1 इस स्थिती को देखते हुए यहाँ सिंचाई के साधनों का विकास किया गया है। Irrigation in india – सिंचाई भारत में सतत ही जल और भूमिगत जल प्रयाप्त मात्रा में उपलब्ध है । यही कारण है, कि

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British Land Revenue Policy – ब्रिटिश शासन में कृषि और भू-राजस्व नीति

British Land Revenue Policy, ब्रिटिश ने भारत के समस्त आर्थिक सनसाधनों का उपयोग ब्रिटेन के व्यापारी, उधोगपति तथा विशेष वर्गों के हितों के लिए किया गया था । इनके आर्थिक नीतियों के कारण भारत के परंपरागत आर्थिक ढांचे को नुकसान पहुँचाया। वही दूसरी ओर श्राध्धुनिक व नवीन आर्थिक व्यवस्था को विकसित भी किया गया। ब्रिटिश

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Jainism – जैन धर्म

Jainism, वैदिकोत्तर काल में दुसरा प्रमुख धर्म जैन धर्म का आगमन हुआ था । जैन धर्म श्रमण परंपरा की प्रमुख शाखा हैं इसके पहले तीर्थकर ऋशभदेव थे, जबकि 24 वें तीर्थकर महावीर स्वामी और 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ हुए थे। Jainism – जैन धर्म Jainism – 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ इनका जन्म 850 BC में काशी,

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Soil – विश्व की मिट्टी

Soil, चट्टानो के टूटने फूटने , सड़ने गलने से मिट्टी का निर्माण होता है। समान्यतः भूतल के ऊपरी परत की मिट्टी कहा जाता है। Soil – विश्व की मिट्टी के प्रकार मिट्टी का वर्गीकरण इस प्रकार से किया गया है – पेंडजोल मिट्टी, भूरी मिट्टी , प्रेयरी मिट्टी , लेटेराइट मिट्टी , चेरनोजम मिट्टी ,

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folk music of Jharkhand – लोक संगीत

folk music of Jharkhand, झारखण्ड सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत समृद्ध राज्य है। यहां की संस्कृति में लोक-संगीत का प्रमुख योगदान रहा है। यहां की संस्कृति बिहार और पश्चिम बंगाल से प्रभावित है। folk music of Jharkhand – लोक संगीत लोक संगीत झारखण्ड की जनजातियों जन-जीवन में लोक संगीत का विशेष महत्वपूर्ण में उनके होता

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Folk instruments of Jharkhand – झारखंड के संगीत वाद्ययंत्र

Folk instruments of Jharkhand, झारखण्ड में कई प्रकार के सास्कृतिक पर्व और त्योहार मनाये जाते हैं। उन त्योहारों के अवसर पर अलग-अलग वाघय यंत्र बजाये जाते हैं। झारखंड में सर्वाधिक प्राचीन और सर्वाधिक लोकप्रिय वाद्य यंत्र मांदर है। इसके बाद दूसरा स्थान बासुरी का आता है, जो प्राकृति से जुड़ा हुआ वाघय यंत्र हैं। झारखण्ड

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Traditional Art of Jharkhand – पारम्परिक कला

Traditional Art of Jharkhand, झारखण्ड राज्य में जनजातियों और गैर-जनजातियों लोगों में चित्रकला के प्रति अधिक झुकाव दिखलाई पड़‌ता हैं। यहां चित्रकला और शिल्पकला समाजिक मान्यताओं रीति रिवाजों और संस्कृतिक को प्रतिविम्बीत करता है। झारखंड में भी विभिन्न प्रकार के चित्रकला की शैलियां पाई जाती है’। संथाल भिति चित्र (दीवार) में मुख्य रूप से सफेद,

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Tribal Movement of Jharkhand – झारखंड के आदिवासी आंदोलन

Tribal Movement of Jharkhand, झारखण्ड में जनजातिय विद्रोह के निम्न कारण थे 1) भूमि का हस्तान्तरण 2) जनजातिय शोषण 3) ब्रिटिश हस्तक्षेप सत्ता के द्वारा आदिवासीयों के आंतरिक मामलो में 4) लॉड कार्नवालिस की जमीनदारी व्यवस्था 5) भारखण्ड में ब्रिटिश द्वारा आदिवासियों , महाजन, सूदखोर और जमीनदारों के का शोषण 6) झारखण्ड में बाहरी लोगों

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