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folk music of Jharkhand – लोक संगीत

folk music of Jharkhand, झारखण्ड सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत समृद्ध राज्य है। यहां की संस्कृति में लोक-संगीत का प्रमुख योगदान रहा है। यहां की संस्कृति बिहार और पश्चिम बंगाल से प्रभावित है। folk music of Jharkhand – लोक संगीत लोक संगीत झारखण्ड की जनजातियों जन-जीवन में लोक संगीत का विशेष महत्वपूर्ण में उनके होता […]

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Folk instruments of Jharkhand – झारखंड के संगीत वाद्ययंत्र

Folk instruments of Jharkhand, झारखण्ड में कई प्रकार के सास्कृतिक पर्व और त्योहार मनाये जाते हैं। उन त्योहारों के अवसर पर अलग-अलग वाघय यंत्र बजाये जाते हैं। झारखंड में सर्वाधिक प्राचीन और सर्वाधिक लोकप्रिय वाद्य यंत्र मांदर है। इसके बाद दूसरा स्थान बासुरी का आता है, जो प्राकृति से जुड़ा हुआ वाघय यंत्र हैं। झारखण्ड

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Traditional Art of Jharkhand – पारम्परिक कला

Traditional Art of Jharkhand, झारखण्ड राज्य में जनजातियों और गैर-जनजातियों लोगों में चित्रकला के प्रति अधिक झुकाव दिखलाई पड़‌ता हैं। यहां चित्रकला और शिल्पकला समाजिक मान्यताओं रीति रिवाजों और संस्कृतिक को प्रतिविम्बीत करता है। झारखंड में भी विभिन्न प्रकार के चित्रकला की शैलियां पाई जाती है’। संथाल भिति चित्र (दीवार) में मुख्य रूप से सफेद,

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Tribal Movement of Jharkhand – झारखंड के आदिवासी आंदोलन

Tribal Movement of Jharkhand, झारखण्ड में जनजातिय विद्रोह के निम्न कारण थे 1) भूमि का हस्तान्तरण 2) जनजातिय शोषण 3) ब्रिटिश हस्तक्षेप सत्ता के द्वारा आदिवासीयों के आंतरिक मामलो में 4) लॉड कार्नवालिस की जमीनदारी व्यवस्था 5) भारखण्ड में ब्रिटिश द्वारा आदिवासियों , महाजन, सूदखोर और जमीनदारों के का शोषण 6) झारखण्ड में बाहरी लोगों

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Jharkhand ke Vibhuti – झारखंड विभूति

Jharkhand ke Vibhuti Jharkhand ke Vibhuti – झारखंड विभूतियों में कुछ प्रमुख है दिवा सोरेन किसुन सोरेन , बिरसा मुंडा , रानी सर्वेश्वरी , गया मुंडा , भूषण सिंह , सिनगी दई और काइली दई , अल्बर्ट एक्का , फादर हॉफमैन (1857-1928) , श सखाराम गणेश देउस्कर , राधा कृष्ण , पंडित रघुनाथ मुर्मू ,

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Formation of Jharkhand – झारखंड का गठन

Formation of Jharkhand, झारखण्ड राज्य ब्रिटिश शासन काल से ही अंग्रेजों के शोषण कारी नीतियों के खिलाफ आंदोलन होते रहा है, और इसी पृष्ठभूमि में झारखण्ड के लोगों के द्वारा अलग राज्य की मांग की जाती रही है। ब्रिटिश शासन काल में झारखण्ड, बंगाल फिर बाद में बिहार प्रांत का अंग बना रहा । आधुनिक

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khortha alphabet (vowel and consonants)- खोरठा का वर्ण परिचय

khortha alphabet – वर्ण ध्वनियों के लिखित रूप को ही वर्ण कहा जाता है हर भाषा की अपनी ध्वनियां होती है। ऐसे ही खोरठा की भी अपनी ध्वनियां है। खोरठा भाषा का लेखन देवनागरी लिपि में होता है, इसलिए देवनागरी लिपि के जो चिन्ह है, ध्वनियों के उन देवनागरी चिन्हों के आधार पर खोरठा के

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khortha shabd sampada – खोरठा शब्द सम्पदा

खोरठाक सबद संपइत (khortha shabd sampada) = ठेठ + तत्सम + तद्भव + वदेशज हर भाषा की अपनी ध्वनियां होती है और ध्वनियों के मेल से या व्यवस्था से शब्द बनते हैं। हर भाषा के अपने शब्द भी होते है क ( कंठ ध्वनि) + म (ओष्ठक ) + ल ( अन्तस्थ) = ध्वन चिन्हृ

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Samash in khortha language -खोरठा भाषा के समास

Samash in khortha – समास समास का अर्थ है, संक्षेप। कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ प्रकटकरना समास का उद्देश्य है। प्रसिद्ध व्याकरण पंडित कामता प्र. गुरु के अनुसार दोया दो से अधिक शब्दों का परस्पर संबंध बताने वाले शब्दों या प्रत्ययों का लोप होने पर इन दो या अधिक शब्दों से

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Gender – Ling in Khortha language – खोरठा भाषा के लिंग

Ling in Khortha – लिंग लिंग शब्द का अर्थ चिन्ह – योनि चिन्ह होता है । इसी योनि चिन्हको देख जीव जंतु का लिंग निर्धारण किया जाता था। इसे प्राकृतिक लिंग कहा जा सकता है। खोरठा चूँकि आदिम भाषा है इसलिए खोरठा में लिंग बोधन के लिए आदिम ढंग – ढांचा के अनुसार होता है।

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Vachan in khortha language – खोरठा भाषा के बचन

Vachan in khortha – बचन बचन सबदेक सोझा – सोझी माने हवो हे बोली बचन | मकिन बेआकरन संग्या आर सरबनाम के एक चाहे एकले बेसी के बोध करवइया बेवसतथा के बचन कहल जाहे । बिदवान गुला कर मानना हइ जे बचन के सही नाम ‘संख्याबचन’ हकइ मकिन एकर छोट रूप ‘बचन’ के चलन बाइढ

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Verb in Khortha language – खोरठा भाषा क्रिया के शब्द

Verb in Khortha – क्रिया जिस शब्द से किसी काम के करने, होने, अधिकार संबंध या अवस्था का बोध होता है, उसे क्रिया कहा जाता है। क्रिया शब्द का आधार “धातु” कहलाता है। क्रिया के भेद – Verb in Khortha 1. सकर्मक क्रिया 2. अकर्मक क्रिया 3. प्रेरणार्थक क्रिया 4. संयुक्त क्रिया 5. जोड़ा क्रिया

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