Kharia Tribe – खड़िया जनजाति

Kharia Tribe, प्रारंभ में यह जनजाति पालकी धोने को काम करती थी। ये मुख्य रूप से गुमला, सिमडेगा, रांची, लातेहार और हजारीबाग जिले में निवास करती है ।

Kharia Tribe – खड़िया जनजाति

यह जनजाति प्रोटो- ऑस्ट्रेलियाड ग्रुप से आती है। खडिया जनजाति में भी उप जनजातियाँ है। जैसे पहाड़ी खड़िया, ढलकी खड़िया, दूध खड़िया आदि ।

Kharia Tribe - खड़िया जनजाति

Kharia Tribe – समाजिक स्थिति

यह जनजाति भी पितृसत्तात्मक है, और इनके यदा सगोत्रीय विवाद वर्जित है। बहू विवाह की प्रथा प्रचलित हैं। उनके गदा भी कई प्रकार के विवाद पाए जाते है, जिसमें सर्वाधिक प्रत्यक्षित ओलोलदाय विवाह है। इसमें कन्या मूल्य देकर विवाद किया जाता है। इसके अलावे अपहरण विवाह, प्रेम विवाह, सगाई विबह की जानकारी मिलती है।

Kharia Tribe – देवता

प्रमुख देवता – बेला भगवान

पहाड़ देवता – पारदूबो

वन के देवता – बोराम

वन देवता – गुमी देवी

इनका प्रमुख वर्त वा बिड और बंगारी है। वा बिड सर्वाधिक लोक प्रचलित पर्व है। खडिया जनजाति में धार्मिक प्रधान को कालों कहा जाता हैं। इस जनजाति में समाजिक, धार्मिक व्यवस्था पाई जाती है। यह संयुक्त परिवार व्यवस्था है, और इनके यदा ग्राम पंचायते पाई जाती है।

मुखिया को प्रधान कहा जाता है और प्रधान को सहायता करने के लिए नंगी होते हैं। इसके अलावे संदेश को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने वाले को गंडा कहा आता है।

Kharia Tribe – Doklo Sohor Administration System – डॉकलो सोहोर प्रशासनिक प्रणाली

इनके स्व शासन व्यवस्था को डॉकलो सोहोर शासन व्यवस्था कहा जाता है। ढोकलो का अर्थ होता है बैठक और सहोर का अर्थ अध्यक्ष ।

इस शासन व्यवस्था में एक महासभा होती है, जो जनजातियो कानून के आधार पर निर्णय करती है । खड़िया समाज का राजा ढोकलो सहोर कहलाता है।

खडिया समाज में गांव का प्रमुख व्यक्ति महतो होता है, जो गांव का सर्वाधिक बुजुर्ग व्यक्ति होता है। इसके अलावा करटहा होता है , जो गाँव का नेता होता है। यह गाँव के झगड़े का निपटारा करता है और पाहन भी होते है , जो धर्म और पूजा से संबंधित होते हैं ।

* Kharia Tribe *

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