CNT Act 1908 – छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम

Cnt Act 1908, झारखण्ड क्षेत्र में भूमि व्यवस्था में समान्य स्थिति लाने के लिए और जनजातियों को अपना अधिकार दिलाने के लिए उनके परंपरागत व्यवस्था को मान्यता देने के लिए छोटानागपुर में 1902 ई० में पहली बार भूमि का सर्वे कराया गया था, और जब सर्वे रिर्पोट आई तो उसी के आधार पर छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम का प्रारूप तैयार किया गया था ।

उस प्रारूप को भारतीय परिषद् अधिनियम 1892 ई० के तहत भारत के गवर्नर जनरल से मंजूरी दी गई और फिर 14 नवम्बर 1908 ई० से छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम लागू हो गया।

इस अधिनियम में कुल 19 अध्याय और 271 धाराएँ है। इस अधिनियम के प्रारूप को तैयार करने वाले जॉन एन्च. हॉफमैन थे।

CNT Act 1908

अध्याय 1

इस अध्याय में छोटानागपुर काशतकारी अधिनियम संक्षिप्त नाम और उसकी परिभाषा की चर्चा की गई है। यह एक्ट उत्तरी छोटानागपुर और दक्षिणी छोटानागपुर प्रमण्डल में लागू होता है। इसके अंतर्गत धारा 1 – 3 आते हैं ।

अध्याय 2

इस अध्याय में काश्तकारों के वर्ग को परिभाषित किया गया है । इसके अंतर्गत धारा 4 – 8 म हैं ।

अध्याय 3

यह अध्याय भूधारक से संबंधित है। इसमें भू-धारक अपनी लगान जामा करेगा, भूमि पर लगाने में वृद्धि किस प्रकार की जाएगी और कौन करेगा | सारी बातों की चर्चा की गई हैं। इसके अंतर्गत धारा 9 – 15 आते हैं ।

अध्याय 4

इसके अंतर्गत धारा 16 – 36 आते हैं । इसमें रैयतों की चर्चा की गई है ।

अध्याय 5

इसके अंतर्गत धारा 37 आ हैं जो खुदकट्टीदार अधिकार प्राप्त रैयतों से संबंधित है। इसमें कहा गया है, कि इस अधिनियम के प्रावधान पूर्ण रैयतों पर लागू होगे, जिन्हें खुदकट्टी का अधिकार प्राप्त हैं।

अध्याय 6

इसके अंतर्गत धारा 38 – 42 आते हैं । इसमें लगान और पट्टा से संबंधित चर्चा की बात है ।

अध्याय 7

इसके अंतर्गत धारा 43 आते हैं । इसमें कहा गया है, कि भू-स्वाभि को अपने भूमि पर पूर्ण अधिकार होगा और उसे लगान देना होगा। लेकिन कुछ भूमि जैसे सरकारी भूमि, किसी प्राधिकार के द्वारा अधिकृत की गई भूमि या रेलवे के लिए अर्जित की बाई भूमि हो, तो इस भूमि पर कोई लगान नहीं ली जाएगी।

अध्याय 8

इसके अंतर्गत धारा 44 – 51 आते हैं । इसमें जोतों और भू घृतियों का पट्टा और अंतरण योजना की बाते है।

अध्याय 9

इसके अंतर्गत धारा 51 (क) 52 – 63 आते हैं । लगान संबंधी उपबंध

अध्याय 9 (क)

इसके अंतर्गत धारा 63 (क) एवं (ख)आते हैं । इसमें बंजर भूमि की बंदोबस्त कैसे की जाए, चर्चा की गई है ।

अध्याय 10

इसके अंतर्गत धारा 64 – 75 आते हैं । इसमें भू – स्वली तथा काश्तकार के लिए प्रकीर्ण उपबंध कोरकर

अध्याय 11

इसके अंतर्गत धारा 76 – 79 आते हैं । इसमें रूढ़ी और संविदा की शर्तों पर चर्चा की गई है ।

अध्याय 12

इसके अंतर्गत धारा 80 – 100 आते हैं । इसमें अधिकार , अभिलेख और लगानों का निर्धारण किया गया है ।

अध्याय 13

इसके अंतर्गत धारा 101 – 117 आते हैं इसके अंतर्गत नई भूमि जूड़ी प्रावधान, भूमि से संबंधित लवशर्ते, भ्भूमि का स्थानंतरण आदि से जुड़े प्रावधान किए गए हैं।

अध्याय 14

इसके अंतर्गत भू स्वामियों का विशेषाधिकार वाले भूमि का अभिलेख धारा 118 – 126 आते हैं ।

अध्याय 15

इसके अंतर्गत धारा 127 – 134 आते हैं । अधिकार, अभिलेख तथा खूंटकटी अधिकार वाले रैयत, ग्राम मुखिया तथा अभिधारियों के अन्य वर्गों की बाध्यताएँ।

अध्याय 16

इसके अंतर्गत धारा 135 – 229 आते हैं । उपायुक्त द्वारा संज्ञेय विषयों की न्यायिक प्रक्रिया है।

अध्याय 16 (क)

इसके अंतर्गत धारा 229 (क) आते हैं । बिहार और उड़ीसा लोक माँग वसूली अधिनियम, 1914 के अधीन लगानों की वसूली की संक्षिप्त प्रक्रिया की चर्चा की गई है

अध्याय 17

इसके अंतर्गत परिसीमा धारा 230 – 238 आते हैं ।

अध्याय 18

इसके अंतर्गत धारा 239 – 256 आते हैं । मुण्डारी, खूंटकटीदारो से जुड़े विशेष उपबंध है ।

अध्याय 19

इसके अंतर्गत अनुपूरक उपबंध धारा 257 – 271 आते हैं ।

Cnt Act 1908 के महत्वपूर्ण तथ्य

11 NOV 1908 ई० को छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम को लागू कर दिया गया था । इस अधिनियम को भारतीय परिषद् अधिनियम 1892 के अंतर्गत गवर्नर जनरल ने इसे मंजूरी दि थी।

इस अधिनियम का उद्देश्य छोटानागपुर में भूभि संबंधि विवादों का निपटारा करना, जनजातियों के भूमि संबंधित आधिकारों का रक्षा करना आदि हैं।

इस अधिनियम के धारा 49 के तहत जनजातिय भूमि का हस्तानांतरण या विक्रय उद्योग खनन एवं कृर्षि कार्य हेतू गैर-जनजातियों को किया जा सकता है।

झारखण्ड सरकार द्वारा 2016ई० में अधिनियम की धारा 49 में संशोधन किया गया। जिसके अनुसार संसाधन उद्योग, खनन, रेलवे कॉलेज, Transmision Line आदि कार्यों के लिए सरकार जमीन में सकती है। साथ ही विकास हेतू कंपनियों को जमीन दे सकती है ।

अब तक cnt act 1908 में करीब 26 संशोधन किए जा चुके हैं ।

CNT Act 

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