Khortha, खोरठा भासा झारखण्ड के सदानी परिवार के एगो बोड (बड़ा), सकत (मजबुत), डटगर आर सुतंतर भासा हई। आइज खोरठा झारखण्ड के तीन परमंडल उत्तरी छोटानागपुर , संथाल परगना आर पलामू के भासा रूपें डंडाइल (खड़ा) हई।
ई भासा झारखण्ड के 24 जिलाक गइधे 16 जिलाक 1.5 करोड़ से बेसी लोकेक मांञ कोखा भासा (मातृभाषा) रूपें काम कहर रहल हुई। जदि खोरठा भासाक छेतरफल देखल जाइ तो 31-34 हजार वरग किमी. तइक फइलल पसरल हई ।
Khortha – खोरठा भासा का सामान्य परिचय
खोरठा भासा झारखण्ड राइजें आदिवासी आर सदान के मांझे लिंगुआ फ्रैंका / जोर-नार भासा ” के रूपें काम करो हइ । आइज खोरठा छेतरें आदिवासी लोक आापन भासा बिसइर रहल हय । आर खोरठा भासाक मातरी भासा रूपें अपनाइ रहल हय।
ई तरी कहल जाई पारे कि खोरठ भासा झारखण्ड राइज के एगो हुबगर छेतरीय भासा हकइ ।
Khortha – खोरण भासाक उद्भव
खोरठा भासा की उत्पत्ति के मत है –
खोरठा भासाक उदभव पर भिनु भिनु विद्वान के अलग-अलग गत बा या बिचार हय । जेकरा हेठे रकम देखल जाई ।
खोरठा भासाक उदभव के सिद्धांत
1) प्रकृति – प्राकृत सिद्धांत
2) सदानी सदान सिद्धांत
3) मागधी – अर्धमागधी अपभ्रंश सिद्धांत
4) भासा परिवार सिद्धांत.
प्राकृति प्राकृत सिद्धांत
प्राकिरिति प्राकिरित सिद्धांत के जनमदाता डॉ. ए. के. झा कृष्ण चंद्र दास आला आर श्री निवास पानुरी जीक मानल जाहे इनखर मतें खोरठा भाषाक उद्भव प्रकिरति से दई ।
डॉ. ए. के. झा जीक मत है, कि खोरठा के भासाक जनम प्रकिरति के साडा के अनुकरन से भेल हइ ।
प्रकिरतिएं दइर अइसन साडा पावल जाहे, जेकर खोरठा भासाञ सब्द रूपें अपनाई के एगो नावा भाषा के जनम देल गेल हइ ।
डॉ. ए. के. झा जी आगु कहल हय कि खरोष्ठी आर खोरण के मांझे हेठे रकम समानता पातल जाहे
→37 आछर
→दिरिघ मातरा के अभाव
→संयोजी आछर के अभाव

कृस्त चन्द्र दास आला
हुवे कृष्ण चन्द्र दास ‘आला’ जी श्रापन किताब ‘खोरठा भासा गर्छन बतवल हय की खोरठा भासाक जनम प्रकिरति के साडा भार सबद से भेल छइ ।
उनकर मत है कि खोरठा के उत्पत्ति प्रकिरति के सबद खरठी वा खरठा’ से भेल छइ ।आला श्री कहल हय कि प्रकिरतिएँ खोरका सबद नाथ है बिचकुन (बलिक) खरठी आर खरठा हुई।
खरठी -> खरठा -> खोरठा
श्री निवास पानुरी
तेसर बिदुबान श्री निवास पानुरी , जेकरा खोरठा भाषाक बाल्मीकि भार पितामह कहल जाहे ।
इनखर मत है कि प्रकिरति उपजल पहिल मनुख के भाखा रूपें खोरठा के उत्पत्ति बा उदभव भेल हइ ।
पानुरी जीक माइनता (मान्यता) है, कि खोरठा भाषाक जनम देवइआ ई दुनिया से हि (भर) सिसई गेला मलिन (लेकिन) ऊ लोकेक भासा खोखा एखन हामिन ठिन जग जनाइ (चमक) रहल हइ ।
इतरी कहल जाइ पारे कि झारखण्डे के भासाक खोरठा के उद्भव प्रकिरति से भेदल हइ ।
सदानी – सदान सिद्धांत
जनक – पीटर शांति नवरंगी
समर्थन← डॉ. बी. पी. केशरी , डॉ . बी एन ओहदार
खोरठा भासाक उदभव के दोसर सिद्धांत के नाम सदानी – सदान सिद्धांत छइ । इ सिद्धांत के जनम दाता नागपुरी भासा के बिदुबान पिटर शांति नवरंगी छ । इनकर मत है, कि झारखंडे के सदान लोकेक भासा रूपें खोरठा भासाक उद्भव भेल छइ ।दोसर अरयें कहल जाइ, तो सदान लोकेक मुह से बहराइल भासा खोरा हइ ।
सदान – सदानी मासा – खोरठा भासा
एकर आए ई मत के समरथन करवइआ डॉ. बी. पी. केसरी आर डॉ बी एन ओहदार के नाम हइ ।
डॉ . बी. पी. केसरी आपन किताबें झारखंड के सदान आर डॉ. बी. एन. ओहदार आपन किताबें खोरा भासा और साहित्य में बतवल हय कि झारखंड की धरतीय आदिवासी लोकेक ढइर बाद जे लोक आइयल हय ऊ लोकेक सदान कहल गेल । झारखंड राइजे सदान लोकेक भासा सदानी कहाइल आर एहे सदानी भासा से खोरठाक के उत्पति भेइल हइ।
माग्धी अर्धमागधी अपभ्रंश सिद्धांत
खोरठा भासाक उत्पत्ति के तेसर सिद्धांत के नाम मागधी – अर्धमागधी अपभ्रंश सिद्धांत हुई। ई सिद्धांत के बिचारक डॉ. गजाधर महतो प्रभाकर डॉ. विनोद कुमार, प्रो. नरेश निलकमल डॉ. राम कुमार तिवारी, विश्वनाथ रतौंधी राज आरो आरो हइ ।
खोरठा भासाक के पहील P.H.D करबइआ डॉ गजाधर महतो प्रभाकर आपन सोथ पतरे खोरठा लोक कथा विसइ आर विसलेसन कदल हइ कि मगध राइजे से भिनु भिनु कामे आर भिनु भिनु समझ जो लोक झारखंड छेतरे अइला । ॐ लोकेक भासा रूपे खोरठा के उद्भव भेल हइ ।
दोसर अरयें कदल जाय तो मगध राइस के भाषा माग्धी से अर्ध माग्धी मासा के विकास भेलाइ तकर बादे अर्धमाग्धी भासा से भिनु भिनु छेतरीय भासा के विकास भेलाइ । एहे छेतरीय भासा से झारखंड राइजे खोरठा भासा के जनम मानल जाह ।
हुवें डॉ. विनोद कुमार अपन सोध पतरे ” खोरठा लोकगीतों में सांस्कृतिक अध्ययन कहल हय कि भारतेक लगभग मोटा मोटी सोभ भासाक आधार भासा प्राकिरित भासा हइ आर एहे पराकिरित भासा के विकसीत रूप मागधी आर अर्धमाग्धी बनल हइ ।
आगु चेल केइ अर्धमाग्धी भासा से भिनु भिनु छेतरीय भासा के उद्भव मेलाई ।
भासा परिवार सिद्धांत
आग्नेय / मुंडा / आस्ट्रीक भाषा परिवार – संथाली मुंडारी खरिया हो
द्रविड़ भासा परिवार – कुडुख (उराँव)→कोखामाल्टो (पहाड़ीया)
आर्ज (आर्य) भासा परिवार – खोरठा नागपुरी कुरमाली पंच परगनिया,
झारखंड एगो बहु भासिक, बहु परजातिक बहु सांसकिरतिक राइज हइ । हियां आदिवासी आर सदान समुदाय के भिनु – भिनु परखातिक भासा आर संस्कृति के लोक विवाद करो हइ ।
भाषा परिवार के अधारे देखल जाय तो झारखंड राइजे 3 भाषा परिवार के लोग विवाद करो हय । जेकरा हेठे रकम देखल जाइ –
आस्ट्रीक भाषा परिवार
झारखंड राइजे आस्ट्रीक भासा परिवार के सदइस संथाली, मुंडारी, खड़ीया भार दो भासा हइ । आस्ट्रीक भासा परिवार के आग्नेय भासा परिवार आर मुंडा भासा परिवार के नाम हूं जानल जा हइ ।
द्रविड भासा परिवार
झारखंड राहजें द्रविड़ भासा परिवार के सदइस रूपें कुडुख कोरवा आर माल्टो भासा के सामिल करल गेल हइ ।
आइर्ज भासा परिवार
आइर्ज भासा परिवार के सदस्य रुपें खोरठा, नागपुरी, करमाली भार पंचपरगनीया छइ । झारखंड राइने आइर्ज भासा के सदानी आर देतरीय भाषा के नाम से भी जानल जा हइ ।
निश्रनिझउती कहल जाई पारे की खोरठा भासाक उद्भव पर भिनु – भिनु बिदुआन के अलग-अलग मत हुई तहओ (फिर भी) प्रकृति – प्राकृत सिद्धांत सदानी सदान सिद्धांत, मागधी अर्धमागधी अपभ्रंश सिद्धांत ‘आर भासा परिवार सिद्धांत के विचार से फरिच हव है, कि खोरठा भासाक अनम बा उद्भव उसके उपरेक चाइसे सिद्धांत के मेसर – कोसर रूप के परिनाम हकइ ।
Khortha – खोरठा कहाँ की भासा हइ आर कहाँ बोलल जा हइ ?
Khortha – खोरठा झारखंड के अलावा देश के भिनु भिनु राइजे जैसे पश्चिम -बंगाल ,असम, अंडमान के साथ -साथ मारिसस आदि में बोलल जाहे । झारखंड के 3 प्रमंडलों के अर्न्तगत 16 जिलों में बोलल जाहे –
संथाल परगना प्रमंडल के सभी जिलें – गोड्डा, देवघर, दुमका, जामताड़ा, साहेबगंज, पाकुड़
उत्तरी छोटा नागपुर प्रमंडल- हजारीबाग, चतरा, कोडरमा , गिरिडीह, बोकारो धनबाद , रामगढ़,
पलामू प्रमंडल के सभी जिले – लतेहार , पलामू , गढ़वा
शिव दयाल सिंह “शिव दीप” के मते खोरठा भासाक क्षेत्रफल 31 हजार वर्गमील हइ । 1.25 करोड़ से 1.75 करोड़
Khortha- खोरठा की लिपि
देवनागरी लिपि वर्त्तमान में प्रयोग करल जा हइ । डॉ. नागेश्वर महतो द्वारा बनल खोरठा लीपि प्रयोग नाय होवो हइ ।
अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की लीपि
संथाली – ओलचिकि,
कुरमाली – कुरमाली चिस्
कुडुख – तोलोंग सिकि
हो – बरांग चिति,