Noun in Khortha language | खोरठा भाषा में संज्ञा (संइगा)

संज्ञा (संइगा) – Noun in Khortha language

सभी तरह के नामों कोनों चीजेक नाम , जगह के नाम ,कोनो गोंठ -तोंठ ,भाभ- विचार ,के नाम के संइगा कहल जा हे । संज्ञा बना है संज्ञान से, संज्ञा का मतलब है – चेतना

जब तक हम किसी वस्तु के बारे में नहीं जानते है तब तक वो सर्वनाम के स्तर पर रहता है। सर्वनाम मतलब सबो का नाम है।

जैसे :- ई की हके ।

ऊ की हइ ।

शुरूआती तौर पर वह सर्वनाम रहता है जब हम उस चीज के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेते है, तब हम उसका नाम रखते है।

Noun in Khortha language | खोरठा भाषा में संज्ञा (संइगा)

Noun in Khortha – संज्ञा के भेद मुख्य रूप से 5 भेद है :-

संज्ञा के भेद मुख्य रूप से 5 है :

1. जातिवाचक संज्ञा (जाइतवाचक सइंगा)

2. व्यक्तिवाचक संज्ञा (बेगइतवाचक सइंगा)

3. समूहवाचक संज्ञा (गोंठवाचक सइंगा)

4. द्रव्यवाचक संज्ञा / वस्तुवाचक (बसुतवाचक सइंगा)

5. भाववाचक संज्ञा (भाबवाचक सइंगा)|

English Grammar के अनुसार 3 भेद है। Grammar के अनुसार 3 भेद है

1. जातिवाचक संज्ञा (जाइतवाचक सइंगा)

• किसी वस्तु या प्राणी की – सम्पूर्ण जाति का बोध कराने वाले जातिवाचक संज्ञा कहे जाते है।

पटतइर/ उदाहरण :- मनुष्य, घर, नदी, पहाड़ आदि ।

जातिवाचक संज्ञा के अन्तर्गत निम्नलिखित शामिल होते है-

पशु-पक्षी, कीट-पतंगों के नाम – गाय, घोड़ा, खटमल, घोड़ा

फल, सब्जि, और फूल के नाम – आम, जामुन, भिंडी, गेंदा

पहनने, ओढ़ने, बिछाने आदि के नाम – कमीज, पैंट, धोती, तोराक, तकिया, गहना, बरनी, पेछउरि

घरेलू सजावट की सामग्री – आलमारी, कुर्सी, टेबल, पंखा

सवारियों के नाम- रेल, मोटर, साइकिल आदि

संबंधियों के नाम – बहन, भाई, सास, जेठ आदि

व्यवसायिका, पदों एवं पदाधिकारियों के नाम – दर्जी, धोबी, मंत्री बी.डी.आ, राज्यपाल आदि

2. व्यक्तिवाचक संज्ञा (बेगइतवाचक सइंगा)

जिस संज्ञा से किसी एक – वस्तु या व्यक्ति का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है।

उदाहरण :- श्रीनिवास पानुरी, ए. के. झा, रांची, हिमालय, गंगा आदि ।

व्यक्तिवाचक संज्ञा में निम्नलिखित नाम समाविष्ट किए जा सकते

व्यक्तियों के नाम श्रीनिवास पानुरी, ए. के. झा आदि ।

नदियों के नामदामोदर, बराकर, गंगा आदि

झीलों/ डैम के नाम – तेनु डैम, तिलैया डैम आदि ।

गांवो के नाम- कोठार, चेटर, गोला, औरमांझी, कसमार, बालीडीह आदि

शहरों के नाम – रांची, टाटा, धनबाद आदि

समुद्रों के नाम – हिन्द महासागर, अरब सागर आदि।

पहाड़ों के नाम- लुगु, डोंबारी, पारसनाथ आदि ।

सड़कों के नाम- ग्रैंड़ ट्रक रोड़, NH – 33 आदि।

महादेशों के नाम एशिया, यूरोप, आस्ट्रेलिया आदि ।

देशो के नामभारत, चीन, जापान आदि।

राज्यों के नामझारखण्ड, उड़ीसा आदि ।

पुस्तकों के नाम• रामचरित्रमानस, सूर सागर आदि ।

पर्व-त्योहारों के नाम — करम, सोहराई सरहुल जितिया आदि ।

ग्रहो, नक्षत्रों के नाम- रोहिण/रोहइन, पुस्य / पुख, शनि ग्रह, शुक्र ग्रह आदि ।

महीनों के नामचइत, बइसाख, जेठ, जनवरी, फरवरी आदि ।

दिनों के नाम – सोमवार, मंगलवार आदि।

जातिवाचक की तुलना में व्यक्तिवाचक का दायरा बहुत छोटा होता है।जातिवाचक कहने से उसकी पूरी जाति का बोध होता है, लेकिन व्यक्तिवाचक कहने पर किसी एक व्यक्ति का बोध होतो है। जैसे :-

लड़का शब्द हमे पूरे लड़का जाति का बोध कराता है, लेकिन लड़के का नाम अगर राम हो, तो राम नाम हमे किसी एक व्यक्ति विशेष के नामका बोध कराता है।

अगर हम ‘लेखक’ कहते है तो ये जातिवाचक संज्ञा है, लेकिन अगर हम लेखक का नाम ‘श्रीनिवास पानूरी’ कहेंगे तो ये व्यक्तिवाचक संज्ञा है।

जिस प्रकार अगर हम ‘देश’ कहेंगे तो ये जातिवाचक संज्ञा है लेकिन अगर हम ‘भारत’ कहेंगे तो ये व्यक्तिवाचक संज्ञा है। उसी प्रकार अगर हम ‘पहाड़’ कहेंगे तो ये लेकिन अगर पारसनाथ कहेंगे तो ये व्यक्तिवाचक जातिवाचक संज्ञा है,

3. समूहवाचक संज्ञा (गोंठवाचक सइंगा)

जिस संज्ञा से वस्तु अथवा व्यक्ति के समूह का बोध हो, उसे समूह वाचक संज्ञा कहते है ।उदाहरण :-> वस्तुओं का समूह व्यक्तियों का समूह- गुच्छा, कुंज, घौद- पेठिया (बाजार), गोठ, भीड़, सेना, सभा,दल, गिरोह, मेला, जतरा,

4. द्रव्यवाचक संज्ञा / वस्तुवाचक (बसुतवाचक सइंगा)

वैसी वस्तुएं, जिन्हें नापा, तौला जा सकता है, इस संज्ञा के अंतर्गत आते है।उदाहरण :- सोना, चांदी, लकड़ी, पीतल, घी, तेल, पानी, लोहा, तांबा, चीनी,चावल, आदि

5. भाववाचक संज्ञा (भाबवाचक सइंगा)

जिन शब्दों से किसी प्राणी या – पदार्थ के गुण, भाव और स्वभाव के अवस्था का बोध होता है या जिसे हम देख या छू नहीं सकते लेकिन महसूस कर सकते है, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते है।

उदाहरण :- बुढापा/बुढारी, गिदराली, मुरखालि / मुरखइ, पंडितइ / पांडेगिरि

भाववाचक संज्ञा बनाने के नियम :-

1. जातिवाचक संज्ञा से –

बुढ़ा – बुढ़ार

गिदर – गिदराली

पंडित – पंडितइ / पांडेगिरि

मानुस – मानुसाली / मनुसइ

बाभन बंभनइ / बंभनउति

2. सर्वनाम से – आपन-अपनउति

3. क्रिया से –

काटेक – कटाई – छापेक

नपेक छाप-नाप

देखेक – देखउति

बनवेक बनउति

विशेषण से

गरीब – गरीब

बीमार – बीमारी

अच्छा – अच्छाई रुख गरमी• गरम

5. क्रिया विशेषण

फट-फट=फटफदिया

हड़-बड़ – हड़बडिया

कच – कच = कचकचिया

6. अव्यय से

सबास – साबासी

वह-वाह = वाहवाही

व्यक्तिवाचक संज्ञा से जातिवाचक संज्ञा

पानुरी जी खोरठा साहित्य के बाल्मीकी हकइ / लागथ ।

बाल्मीकी एक नाम यानि व्यक्तिवाचक है लेकिन बाल्मीकी, विद्वानों/कवियों के समुदाय विशेष का एक बोधक है।डिक गंगा से मुक़ाम तक

दामुदर झारखंडेक गंगा हकइ ।

गंगा व्यक्तिवाचक है लेकिन यहां गंगा एक पवित्र नदि का बोधक

जिस प्रकार गंगा बड़े व्यापक रूप में पवित्र और धार्मिक रूप से महत्त्वपूर्ण मानी जाती है, उसी प्रकार दामुदर झारखण्ड में भी पवित्र और धार्मिक रूप से महत्त्वपूर्ण मानी जाती है।

* Noun in Khortha *

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