SPT Act 1949 , संथाल परगना के जिले का निर्माण 1885 के संथाल विद्रोह का प्रत्यक्ष परिणाम था , जो । अप्रैल 1949 से लागू हुआ । इसमें कुल 9 अध्याय और 72 धाराएँ है । जिसमें कुछ प्रमुख इस प्रकार है
SPT Act 1949
अध्याय 1 – SPT Act
धारा – 1
उसमें कहा गया है, कि यह अधिनियम उस तारीख से लागू होगा, बिस तारिख से राज्य सरकार अधिसूचना आरी करेगी। यह अधिनियम संथाल परगना क्षेत्र में लागू होगा और मुख्य रूप से दुमका, पाकुड़ साहेबगंज, गोडा, देवघर और जामताड़ा जिले में लागू होगा ।
धारा -2
इसमें कहा गया है, कि राज्य सरकार जो अधिसूचना जारी की है, इस सूचना को संशोधित कर सकती है, और उसे वापस भी हो सकती हैं 1
धारा – 4
इसमें कुछ शब्दों की परिभाषित किया गया है
आदिवासी-
इसे परिभाषित करते हुए कहा गया है, कि वैसा व्यक्ति जिसे राज्य सरकार अनुसूचि- ख में अधिसूचित की है आदिवाली कहलाएगा।
कृर्षि वर्ष
संथाल परगना क्षेत्र में बंगला साल का प्रचलन होता है। इसकी शुरुआता वैशाख माह से शुरू होती हैं। इसके अलावे कृर्षि की दृष्टि कोण से वर्ष चलता है, वह आशिन माह से प्रारंभ होता 1
भूगत बंध बंधक
वैसा व्यक्ति जो ऋण लिया और समय पर जमा नहीं किया हो, तो उसे बंधक के रूप में रख लिया बाता है, तो उसे ही भूगत बंध- बंधक कहा जाता है।
जोत
किसी जोत से तात्पर्य भू – खण्ड या भूखंडों का समूह होता है।
खास ग्राम
इसका अर्थ है, कि वैसा गाँव न तो मूल रैयत हो और न ही उस समय के लिए कोई गाँव का प्रधान हो, तो उसे खास ग्राम कहा जाता है।
भू स्वामी
इसका अर्थ है , ग्राम प्रधान और मूल रैयत से कोई मूल, जिसे लगान प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त हो , उसे भू स्वामी कहा जाता है।
जमींदार
ग्राम प्रमुख और मूल रैयत से कोई भिन्न व्यक्ति जिसे लगान पाने कहलाता है।
गैर-आदिवासी
ऐसा व्यक्ति जिसका नाम अनुसूचि ख में दर्ज नहीं हो, तो उसे गैर-आदिवासी कहा आएगा ।
रैयत
रैयत का ठार्थ भू-स्वामी से भिन्न वैसा व्यक्ति , जिसे स्वयं अपने परिवार के सदस्यों को अथवा भांडे के मजदूर के द्वारा कृषि करने के लिए भूमि धारण करने का अधिकार प्राप्त हो तो वह रैयत कहलाता है।
लगान
वह राशि जो खतियान के अनुसार वग्राम प्रमुख था रैयत के द्वारा जमींदार को या भूमि स्वामी को दिया जाता है। तो उसे लगान कहा जाता है।
खाली जोत
वैसी भूमि जिसका कोई मालिक नहीं हो, तो उसे खाली जोत कहा जाता है।
ग्राम समुदाय
गाँव में जाने वाले सभी वैधत इसके बच्ची, उनके विश्तेदार और का शिककर ग्राम राधना का बाता है।
ग्राम प्रमुख
इस विधान के अनुसार, जिस व्यक्ति को ग्राम प्रमुख के पद पर नियुक्त किया जाता है, उसे ग्राम प्रमुख कहा जाता है। उसे मांझी के नाम से भी जाना जाता है।
अध्याय 2 – SPT Act
ग्राम प्रधान और मूल रैयत से संबंधित प्रावधान है
धारा-5
ग्राम प्रधान के नियमित से संबंधित সাবখান किये गये है। यानि वाम प्रधान की नियुकित’ २ तिहाई रैयतों की अब ५ सहमति से उपायुक्त सारा कि बाएगी।
धारा-6
यदि किसी ग्राम प्रधान की मृत्यु हो जाती है, तो तीन माह के भितर अमींदार द्वारा आवेदन देने पर नये काम प्रधान की नियुक्ति उपायुक्त द्वारा की जाएगी।
धारा – 8
इसमें कहा गया है, कि नये ग्राम प्रधान की नियुक्ति किए जाने के बाद उसे 3 महिने के अंदर जमींदार द्वारा यानि कागज खतियानी कागज दे दी जाएगी।
धारा- 9
इसमें कहा गया है, कि ग्राम प्रधान को किसी दूसरे स्थान पर स्थानंतरता नहीं होगा ।
धारा-10
इसमें कहा गया है, कि कोई बंजर भूमि, जिसे मूल रैयत द्वारा खेती योग्य बदन बना दिया गया हो, हो वह भूमि मूल रैयति जोत कहा जाएगा ।
धारा – ॥
उसमें कहा गया है, कि ग्राम प्रधान मूल रैयतों से वस्तुले गये सभी प्रकार की जुरमाने की राशि पुरस्कार निधि में जमा कर दिये जाएंगे. और उपायुक्त के आदेश से ही कसका उपयोग किया जा सकता है।
अध्याय 3 – SPT Act
यह रैयत और रैयतों के अधिकार से संबंधित है
धारा – 12
इसमें रैयलों के वर्ग की चर्चा की गई है। इसके अंतर्गत
जमा बंदी रैयत
वैसे रैयत, जो गाँव में अपने परिवार के साथ रहते हैं, उन्हें जमाबंदी रैयत कहा जाता है।
गैर निवासी जमाबंदी रैयत
वैसे रैयत, जो गाँव में नहीं रहते है। उनका परिवारीक वास स्थान गाँव में नहीं हैं। उन्हें गैर-निवासी जमाबंदी रैयत कहा जाता है।
नया रैयत
वैसे व्यक्ति, जो नये रैयत के रूप में अभिलिखित किये गये हो उन्हें नया रैयत कहा जाता है।
धारा-13
इसके अंतर्गत रैयतों को भूमि उपयोग से संबंधित अधिकार दिये गए हैं।
धारा-14
इसमें कहा गया है, कि कोई भी जमींदार बीना उपायुक्त के आदेश के उसे जमींन से बेदखल नहीं कर सकता हैं।
धारा-15
रैयतों को अपने परिवार के घरेलू या कृर्षि से संबंधित जोत / भूभि में ईंट या खपड़ा का मकान बनाने की इजाजत है।
धारा-16
कोई भी रैयत विना जमींदार के अनुमति के अपनी कीजी जोता। भूमि में आहार, ललात, कुआँ, जलाशय का निर्माण कर सकता है। उसमें मछली पालन कर सकता हैं।
धारा-18
कोई भी रैरात स्वंत्र या अपने परिवार के लिए अपनी भूमि पर कच्चे या पक्के मकान का निर्माण कर सकता है।
धारा-19
इसके अंतर्गत जमींदार तथा ग्राम प्रमुख रैयत की सहमती से भूमि का विभाजन कर सकता है, और (मगान का वितरण भी कर सकता है।
धारा-20
इसके अंतर्गत रैयतों के अधिकार का हस्तांतरण से संबंधित प्रावधान किये गए हैं।
धारा-21
इसमें कहा गया है, कि गैर आदिवासी रैयत द्वारा रैयति भूमि का हस्तांतरण किस प्रकार से किया जाता है। राज्य सरकार सरकारी गजट में अधिसूचना प्रकाशित करके संपूर्ण संथाल परगना था उसके किसी भाग को और आदिवासी रैयत को भूमि हस्ताणातरण करने की स्वीकृति दे सकती है। यदि उपयुक्त महोदय द्वारा इस तरह का आदेश दिया जाता है।
धारा-22
इसमें कहा गया है, कि किसी रैयत द्वारा कृर्षि कार्य के लिए अस्थाई रूप से अपने जोत को अनुमण्डल पदाधिकारी वल रैयत को जानकारी दे कर न्यास को निम्न परिस्थितियों में दे सकल है। यदि
1) वह आत्थाई रूप से धनुपस्थित रहता हो
2) हल चलाने लायक नहीं हो
3) रैयत यदि विधवा या नाबालिक हो
धारा – 24
इसके तहत जब कोई रैयती बोत या उसका कोई खेत ब्रिकी करना हो, या दान देना हो, तो गाँव के जमींदार के यहाँ रजिस्ट्रड करना होगा।
अध्याय 4 – SPT Act
बंजर भूमि की बंदोबस्ती
धारा – 27
इसमें बंजर भूमि के बंदोबस्ती से संबंधित प्रावधान किया गया है।
धारा-28
बंजर भूमि का जाली अभि किसी भी रैयत को दिया जा गकता है। ताकि उस भूमि को खेती योगा बना सके।
धारा – 29
किसी भी प्रभूभि की बंदोबस्ती उपायुक्त महोदय की स्वीकृति से ही की आएगी।
धारा-30
किसी जोत की बंदोबस्ती के लिए उपायुक्त के अनुमोदन के बिना जोत सकता है।
धारा-32
उसमें कहा गया है, कि बंजर भूमि की बंदोबस्ती में कोई विवाद उत्पन्न होता है, तो उपायुक्त महोदय के यहाँ आपली दर्ज भी जाएगी।
धारा-33
इसमें काल गया है, भभूमि की बंदोबस्ती की गई है, और हसे 5 वर्ष के अंदर आबाद नहीं किया गया तो ग्राम प्रमुख था मूत्र ऐशत के द्वारा आवेदन देने पर बंदोबस्ती रद्द कर दी जाएगी
धारा-34
इसमें कहा गया है, कि उपायुक्त जमावादी रैयत या ग्राम प्रमुख की अध्ाती से नौव की बेबर भूमि को ओहार खान 2 शमशान था वर्षिशतान के लिए अलग कर सकता है।
धारा-35
बाँध, भाार, तालाब था सिंचाई के अन्य साध्चत बंजर भूभि में बनाये जाएगें। यह निर्माण उपायुक्त के अनुमोदन के किया जा सकता है। इसके जल के उपयोग करने पर किसी प्रकार का कोई Tax नहीं लगेगा।
धारा-37
गाँव के सभी रैयतों को इस प्रकार के चिन्दीत कारागार में प्रवेशी चराने का अधिकार होगा।
धारा-38
किसी भी चारामाह की बंदोबस्ती, अन्य कार्यों के लिए नहीं की जाएगी।
धारा-40
किसी व्यक्ति से पोखर खोद कर और हममें मती पाय करता है, तो अमीर या स्वाधी उसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा ।
धारा-41
किसी पहाडीया गाँव में कोई बंजर भूमि या खाली अभि यदि है, तो किसी गैर पहाडीयों को इस भूमि का बंदोबस्ती नहीं किया जा सकता है।
धारा-42
इसमें कहा गया है, कि किसी भी बकाल प्रकार की भूमि से संबंधित नियम का उलघन करके कोई कब्जा कर लेता है, तो उपायुक्त द्वारा बेदखली की प्रक्रिया की आर सकती है।
अध्याय 5 – SPT Act
लगान
धारा – 43
इसके अंतर्गत कहा गया है कि जमींदार या ग्राम प्रधान या मूल रैयत को वस्तु के रूप में लगान पाने का अधिकार नहीं है। व
धारा-45
रैयतों द्वारा लगाন। मनीऑर्डर वे द्वारा भी जमींदार या ग्राम प्रमुख को दिया जा सकता है।
धारा – 47
लगान जमा करने पर रैयत को लगान की रशिद दी जाएगी ।
धारा-48
राजा सरकार प्रमाप्तमेवारिकार्ड এমা रखेगी और ओ सुरक्षित सकेगी।धारा-50
धारा-50
किसी विशेष कारणों से संथाल परगना काश्तकारी अधिकारी लगान में कम कर सकता है ।
धारा-52
इसमें कहा गया है, कि कोई जमींदार या ग्राम प्रधान रैयतों से लगान से अधिक या अतिरिक्त धन वखलता है, तो उसे 6 माह की सजा था 5005. का बुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
अध्याय 6 – SPT Act
धारा – 53
इसके अंतर्गत भवन निर्माण तथा अन्य प्रयोजनों के लिए भू-स्वामी द्वारा भूमि का अधिग्रहण करने से संबंधित प्रावधान किया गया है । इसके अंतर्गत कहा गया है, कि यदि कोई जमींदार जिसका संबंध भूमि । जोता से है, और किसी धार्मिक या शैक्षणिक प्रयोजन के लिए या सिंचाई, कृर्षि या उधोग लगाने के लिए या सरकार किसी प्रकार के निर्माण के लिए उसके भूमि का अधिग्रहण करना चाहता है, तो उपायुक्त के यहाँ आवेदन दे सकता है।
इसी धारा में यह भी कहा गया है, कि यदि कोई रैयत जिसकी भूमि अधिकृत की गई है, उसे क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार होगा और यदि 5 वर्षों के भीतर अधिग्रहीत भूमि पर निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जाता है, तो उपायुक्त आदेश देकर उस भूमि को मूल रैयत को था जमींदार को वापस कर देगा।
अध्याय 7 – SPT Act
यह SPT के न्यायिक प्रक्रिया से संबंधित है
धारा – 54
न्यायिक प्रक्रिया से संबंधित नियम बनाने का अधिकार राज्य सरकार को प्राप्त है।
धारा-55
यदि लगान वसूली के लिए किसी रैयत के विरुद्ध जमींदार ने मुकदमा दर्ज किया है तो इसके विरुद्ध पहले मुकरले की तिथि से ७ माह के भीतर दूसरा मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता हैं।
धारा – 56
यह धारा बेदखली से संबंधित हैं। उपायुक्त के आदेश के बिना कृर्षि भूमि से संबंधित किसी व्यक्ति को बेदखल नहीं किया जा सकता हैं। यदि कोई जमींदार बेदखल कर दिया हो, तो उपायुक्त महोदय उसे वापस दिला सकते है।
धारा-57
यह अपील करने से संबंधित है। इसके अंतर्गत कहा गया है, कि यदि उपसमाहर्ता ( राजस्व अधिकारी) के दारा कोई निर्णय दिया गया हो, तो उससे उपर के अधिकारी के याहाँ अपील किया जा सकता है।
इसके अलावे आयुक्त द्वारा कोई निर्णय लिया गया हो, तो उसके विरुद्ध किसी न्यायालय न्यायधिकरण में अपील की जा सकती हैं।
धारा-58
यह धारा इमरी अपील पर पुनर्विचार करने से संबंधित हैं।
धारा-60
इसमें कहा गया है, कि आयुक्त किसी आदेश का पुनर्विलोकन करने का आदेश दे सकता हैं।
धारा-62
इसमें कहा गया है, कि उपसमाहर्ता, उपायुक्त, अपने कार्यों का निर्वाहत आयुक्त के शक्तियों के अंतर्गत करेंगे।
धारा-63
उसमें कहा गया है, कि उपायुक्त के द्वारा दिये गए किसी भी आदेश को परिवर्तित करने के लिए कोई भी न्यायालय में नहीं जाया जा सकता है।
अध्याय 8 – SPT Act
धारा-64
इस अधिनियम के अधिन कभी आवेदन के लिए कोई समय सीमा का निर्धारण नहीं किया हाता है। इस अधिनियम के किसी भी वाद-विवाद हेतु कोई भी आवेदन जमा किया जा सकता है।
धारा-65
कान गया है, कि रैयत की बेदखली का आवेदन उस तारिख से अब से विवाद हुआ है, वर्ष के भीतर देना हेगा।
धारा-65 (क)
इसमें कहा गया है, कि राज्य सरकार के द्वारा बकाया लगान क्यूल करने के बाद में जिस कृर्षि वर्ष के अंत से लगान बकाया है, उस वर्ष से लेकर 10 वर्ष के अंदर तक लगान के सकता है।
धारा-66
उसमें कहा गया है, कि किसी भी प्रकार नियुक्त था बायुक्त के समक्ष किली आदेश के विरुध न्यायधिकरण अपील 90 दिनों के भीतर की जाएगी।
अध्याय 9 – SPT Act
इसके अंतर्गत कुछ निबंधन से संबंधित प्रावधन लिए गए है
धारा – 67
इसमें कहा गया है कि अधिनियम के प्रावधानों की यदि उलंघन किया जाता है, तो तुम लयक्ति को अर्थिक दंड देना पड़ेगा कोई व्यक्ति यदि नियम का उलंघन करता है, तो 200 रुपये जुर्माने तथा कोई अपराध करता है, तो 5 रू/दिन जुर्माना का भागीदार होगा।
धारा – 69
इसके अंतर्गत कदा गया है कि संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम के तहत कुछ भूमि का अर्जन नहीं किया आ सकता है, जो धारा-20 के तहत अध्धिकृत किया गया हो।
धारा-70
इसमें कहा गया है, कि बकाया धन की वसुली, जुर्माना, दण्ड, ब्याज भादि की वसुली की जाएगी।
धारा-71
संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम के संबंधित किसी भी प्रकार का नियम या अधिसुच्या राज्य सरकार द्वारा जारी की बाएगी और हमे क्रियान्वीत की जाएगी।
धारा-72
इसमें विशिष्ट विधान है, जिसमें संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम 1949 सबसे ऊपर हैं।
SPT Act के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
→ इस अधिनियम के धारा 58 को छोड़कर सभी धाराओं को केंद्र सरकार 1990 में तो संविधान संशोधन करके 9वीं अनुसूची में डाल दी थी। इसके कारण इसमें न्यायपालिका का हस्तक्षेप नहीं होता है।
→ इस अधिनियम के अंतर्गत धारा 20 और धारा 42 में यह प्रावधान किया गया है, कि यदि उसकी भूमिका अवैध हस्तानांतरण दखल अंदाजी किया जाता है, तो उपायुक्त महोदय उसे निरस्त कर सकते हैं।
→ 2016 ई० में सरकार द्वारा एक संशोधन किया गया, कि मालिक अपनी अमीन की प्रकृति बदल सकता है, या कोई भी रैयत अपनी कृर्षि योग्य भूमि का व्यवसायिक उपयोग कर सकता है।